कांग्रेस में खटपट : कपिल सिब्बल के खिलाफ मैदान में उतरे हाईकमान समर्थक नेता

बिहार और तमाम उप-चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल की ओर से नेतृत्व पर उठाए सवालों को लेकर पार्टी में खटपट शुरू हो गई है। कांग्रेस हाईकमान के समर्थक नेता खुलकर मैदान में उतर गए हैं और कपिल सिब्बल को आड़े हाथों लिया है। अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि बिना कुछ किए बोलना आत्मनिरीक्षण होता है। अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'कपिल सिब्बल ने इस बारे में पहले भी बात की थी। वह कांग्रेस पार्टी और आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता के बारे में बहुत चिंतित हैं। लेकिन हमने बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश या गुजरात के चुनावों में उनका चेहरा नहीं देखा।'

2019 चुनाव के बाद राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया और गांधी परिवार से बाहर के व्यक्ति को पार्टी की कमान सौंपने की पेशकश की। अधीर ने निशाना साधते हुए कहा कि सोनिया और राहुल गांधी के इरादों पर सवाल नहीं उठाया जा सकता और एसी कमरे में बैठकर उपदेश देने की बजाय सिब्बल को मैदान में उतरकर काम करना चाहिए।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, 'अगर कपिल सिब्बल बिहार और मध्य प्रदेश जाते, तो वह साबित कर सकते थे कि जो वो जो कह रहे हैं वह सही है और इससे उन्होंने कांग्रेस की स्थिति मजबूत की होती। ऐसी बातों से कुछ हासिल नहीं होगा। बिना कुछ किए बोलने का मतलब आत्मनिरीक्षण नहीं है।'

खुर्शीद ने कहा- हमें लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए

इसी तरह सलमान खुर्शीद ने सिब्बल का नाम लिए बिना फेसबुक पर अंतिम मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर की पंक्तियों के सहारे हाईकमान पर निशाना साधने वालों को अपने गिरेबान में झांकने की नसीहत दी। उन्होनें कहा कि यदि मतदाता कांग्रेस के उदारवादी मूल्यों को अहमियत नहीं दे रहे तो सत्ता का शार्ट कट रास्ता खोजने की जगह हमें लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए। वैसे सिब्बल के उठाए सवालों से पार्टी सांसद विवेक तन्खा और काíत चिदंबरम ने सहमति जताई थी।

राहुल ने आमलोगों की लड़ाई लड़ी है और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई : राजीव शुक्ल

इसी तरह पार्टी नेता राजीव शुक्ल ने गांधी परिवार के समर्थन में उतरते हुए कहा कि राहुल गांधी ने हमेशा आमलोगों की लड़ाई लड़ी है और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई है। इतना ही नहीं वे विपक्ष की एकलौती निडर आवाज भी हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री पार्टी दिग्गज अशोक गहलोत ने तो पहले ही दिन सिब्बल के सवालों को खारिज कर दिया था। पर यह भी ध्यान देने योग्य है कि सिब्बल की आलोचना और हाईकमान के बचाव में उतरे नेताओं में उन वरिष्ठ नेताओं में से कोई नहीं है जो पहले कार्यशैली पर आवाज उठा चुके हैं। जाहिर है कि कांग्रेस में शुरू हुए खटपट के इस दौर के जल्द थमने के आसार नहीं हैं।

इससे पहले, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सिब्बल पर निशाना साधा था। अशोक गहलोत ने कहा था कि पूर्व केंद्रीय मंत्री को पार्टी के आंतरिक मुद्दों मीडिया में नहीं लाना चाहिए और कहा कि इससे देश भर में पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है।

यह कहा था कपिल सिब्बल ने

इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में कांग्रेस के सीनियर नेता कपिल सिब्बल ने बिहार विधान सभा चुनाव और मध्य प्रदेश उपचुनाव के परिणामों के मद्देनजर पार्टी के भीतर आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता की वकालत की थी। अपने साक्षात्कार में सिब्बल ने कहा था कि उन्हें मजबूरी में अपनी बात सार्वजनिक रूप से कहनी पड़ रही है क्योंकि पार्टी नेतृत्व ने बातचीत का कोई प्रयास नहीं किया। सिब्बल का कहना था कि बिहार और जहां उपचुनाव हुए हैं, वहां लोग कांग्रेस को 'एक प्रभावी विकल्प' नहीं मानते हैं।