रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन वर्ष 2000 से 2008 तक दो बार राष्ट्रपति बन चुके हैं। तब उन्हें 1993 के संविधान के कारण सत्ता छोड़नी पड़ी थी। तब राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 वर्ष का होता था। जिसे साल 2008 में संशोधित कर 4 से 6 वर्ष का कर दिया गया था। गौरतलब है कि 1993 के संविधान के अनुसार कोई भी राष्ट्रपति लगातार दो कार्यकाल तक ही राष्ट्रपति का पदभार संभाल सकता है। ऐसे में 68 वर्षीय पुतिन को वर्ष 2024 में दूसरा कार्यकाल समाप्त होने पर राष्ट्रपति का कार्यभार छोड़ना पड़ता। लेकिन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा सोमवार को नए कानून पर हस्ताक्षर किए गए। सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर जारी किए गए बिल की एक प्रति के अनुसार, अब व्लादिमीर पुतिन 2036 तक सत्ता में बने रहेंगे।
पिछले साल एक राष्ट्रव्यापी वोट में पुतिन द्वारा प्रस्तावित परिवर्तनों को 78% से अधिक वोट से अनुमोदित किया गया और संशोधित प्रस्ताव को गत वर्ष मार्च के अंत में स्टेट ड्यूमा (निचले सदन) से पारित किया गया। जिसके बाद अब राष्ट्रपति पुतिन 2036 तक यानी 86 वर्ष की उम्र तक राष्ट्रपति के पद पर बने रहेंगे।1993 के कानून में क्यों किए बदलाव?
जनवरी 2020 में, पुतिन ने संविधान में बदलाव करने का आह्वान किया, जिसमें राष्ट्रपति बने रहने की तय सीमा को हटाना भी शामिल था। मार्च 2020 में स्टेट ड्यूमा (रूस के संसद का निचला सदन) में दिए गए एक भाषण में, पुतिन ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट का उदाहरण दिया था। दरअसल रूजवेल्ट ने 1932 से 1944 तक चार बार राष्ट्रपति का कार्यभार संभाला था। इसके पश्चात 1951 में अमेरिकी संविधान में किए गए 22 वें संशोधन के जरिए राष्ट्रपति पद का कार्यकाल अधिकतम दो बार (प्रत्येक चार साल) के लिए सीमित कर दिया था।