मुंबई की एक विशेष पीएमएलए अदालत ने विजय माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया है। इसके बाद अब सरकार को अधिकार मिल गया है कि वो माल्या की संपत्तियों को जब्त कर सकती है। फिलहाल खबर के विस्तृत विवरण की प्रतीक्षा है। कोर्ट ने माल्या की उस अपील को भी खारिज कर दिया है जिसमें उनसे कोर्ट से कुछ समय देने की मांग की थी। बता दें कि पिछले साल 10 दिसंबर को लंदन की अदालत ने विजय माल्या के प्रत्यर्पण पर भारत के पक्ष में फैसला सुनाया था।
लंदन की वेस्टमिनिस्टर कोर्ट ने विजय माल्या को भारत भेजने की इजाजत दे दी। माल्या के पास प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील करने के लिए 14 दिनों का वक्त होगा। आपको बता दें कि भारतीय जांच एजेंसियां माल्या को प्रत्यर्पित करा स्वदेश वापस लाने की कोशिश पिछले काफी समय से कर रही थी। पिछले महीने ही सरकार ने को लोकसभा में बताया था कि वह विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, नितिन और चेतन संदेसरा, ललित मोदी सहित कुल 58 ऐसे भगोड़ों को वापस लाने की कोशिशों में जुटी है, जो यहां घोटाले के बाद विदेश फरार हो गए और वहां रह रहे हैं।
इंटरपोल में रेड कॉर्नर नोटिस और विभिन्न देशों से प्रत्यर्पण की अपील के जरिये इन्हें वापस लाने की कोशिश की जा रही है। आपको बता दें कि भारत सरकार ब्रिटेन से माल्या का प्रत्यर्पण कराने की कोशिश कर रही है। विजय माल्या के पास ऊंचे कोर्ट में अर्जी देने का भी विकल्प है। विजय माल्या का ट्रायल पिछले साल 4 दिसंबर को शुरू हुआ था।
कोर्ट के इस फैसले के साथ ही विजय माल्या देश का पहला आर्थिक अपराधी बन चुका है जिसके खिलाफ नए भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 के तहत केस चलेगा। माल्या पर बैंकों का लगभग 9400 करोड़ रुपए बकाया है। उनके खिलाफ 17 बैंकों के कंसोर्शियम ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दाखिल की थी। माल्या की तरफ से कहा गया है कि तेल के रेट बढ़ने, ज्यादा टैक्स और खराब इंजन के चलते उनकी किंगफिशर एयरलाइन्स को 6,107 करोड़ का घाटा उठाना पड़ा था। हालांकि वह अभी करीब 1800 करोड़ रुपए के विलफुल डिफॉल्टर हैं। बाकी बैंक अब भी माल्या के खिलाफ कोर्ट नहीं गए हैं।