12 साल से कम उम्र की मासूम से रेप पर मिलेगी सजा-ए-मौत, POCSO एक्ट में संशोधन के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर

अब 12 साल से कम्र उम्र की बच्चियों से रेप के दोषी को फांसी की सजा दी जाएगी। मोदी सरकार ने फांसी की सजा दिए जाने के लिए उस अध्यादेश को मंजूरी दे दी है जिसके तहत पॉक्सो एक्ट में संशोधन कर इसे कानूनी अमली जामा पहनाया जाएगा।

नाबालिगों से बलात्कार किए जाने के मामले में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक खत्म हो गई है। 12 साल तक की बच्ची से रेप के दोषियों को मौत की सजा देने के प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। शनिवार को प्रधानमंत्री आवास पर केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। अब सरकार इसके लिए अध्यादेश लाएगी। कैबिनेट की बैठक में 'प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस' यानी POCSO एक्ट में संशोधन को मंजूरी मिलने से 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के दोषियों को मौत की सजा दिए जाने का रास्ता साफ हो गया।

जम्मू के कठुआ और उत्तर प्रदेश के एटा में नाबालिग बच्चियों के साथ रेप की घटनाओं ने देश को झकझोर कर रख दिया है, जिसके बाद सरकार ने नाबालिग बच्चियों से रेप करने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करने का फैसला लिया है। इससे पहले महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा था कि वो कठुआ और हाल में हुई दूसरी बलात्कार की घटनाओं से बहुत दुखी हैं और उनका मंत्रालय बहुत जल्द ही पॉक्सो एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव कैबिनेट के सामने पेश करेगा।

अभी क्या है कानून?

पॉक्सो कानून के आज के प्रावधानों के अनुसार इस जघन्य अपराध के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है, न्यूनतम सजा सात साल की जेल है। दिसंबर 2012 के निर्भया मामले के बाद जब कानूनों में संशोधन किये गये।

इसमें बलात्कार के बाद महिला की मृत्यु हो जाने या उसके मृतप्राय होने के मामले में एक अध्यादेश के माध्यम से मौत की सजा का प्रावधान शामिल किया गया जो बाद में आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम बन गया।

अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी। कठुआ में आठ साल की मासूम बच्ची के साथ बलात्कार और उसके बाद हत्या की घटना के बाद से ऐसे अपराध के लिए फांसी की सजा की मांग उठ रही है। केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने जब इस प्रस्ताव के बारे में कहा तो उन्हें हर तरफ से इसको लेकर समर्थन मिला।

राहुल गांधी का ट्विट

नाबालिगों से बलात्कार की बढ़ती घटनाओं को लेकर राहुल गांधी ने भी ट्वीट करके प्रधानमंत्री का ध्यान इस ओर खींचा था। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा था कि सिर्फ 2016 में ही नाबालिग बच्चियों के साथ बलात्कार के 19,675 मामले सामने आए। उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री को इन मामलों में तेजी से सुनवाई करके पीड़ितों को न्याय दिलाने का उपाय करना चाहिए।

स्पेशल सेल बनाने की मांग

दो दिन पहले ही मेनका गांधी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर यौन उत्पीड़न से निपटने के लिए स्पेशल सेल बनाने को कहा था। मुख्यमंत्रियों और केंद्र शासित प्रदेश के उपराज्यपाल को लिखे गए पत्र में मेनका गांधी ने कहा था कि ऐसे मामलों की जांच और सबूत इकट्ठा करने के लिए पुलिस के लोगों की विशेष ट्रेनिंग होनी चाहिए और राज्यों में फॉरेंसिक लैब की स्थापना होनी चाहिए, जिससे दोषी बच न सके और उन्हें तेजी से सजा दिलाई जा सके।

हेमा मालिनी ने भी जताई चिंता

अभिनय के क्षेत्र से राजनीति में कदम रखने वाली हेमा ने शनिवार को कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले ऐसे ही हैं, जैसे पहले होते थे लेकिन तब ये मीडिया में नहीं आ पाते थे और तब शायद लोगों को पता नहीं चल पाता था। हेमा मालिनी ने कहा कि अब इस तरह के मामलों को पब्लिसिटी ज्यादा मिल रही है। हेमा मालिनी ने कहा कि उनकी सरकार ऐसे मामलों पर गंभीर है और इस तरह की घटनाएं रुके इसके लिए कठोर कदम उठाएं जाएंगे। हेमा मालिनी ने कहा कि रेप जैसी घटनाओं को रोका जाना चाहिए और इस तरह के मामलों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं जब इंटरनेशनल मीडिया में सुर्खियां बनती हैं तो इससे देश की छवि को भी नुकसान होता है।