सिंधु जल समझौते पर रोक से बेफिक्र पाक की इस परियोजना ने बढ़ाई चिंता, भविष्य में होगी पानी की किल्लत

पहलगाम आतंकी हमले के अगले ही दिन भारत ने पाकिस्तान के साथ 6 दशकों से चले आ रहे सिंधु जल समझौते को रोकने का ऐलान किया था। अब तक इस समझौते का पाकिस्तान पर कोई खास असर नहीं पड़ा है क्योंकि सिंधु समेत सभी नदियों के पानी के बहाव को मोड़ने के लिए कोई नई व्यवस्था नहीं की गई है। लेकिन भारत जिस तरह से नई परियोजनाओं पर काम कर रहा है, उससे पाकिस्तान में खौफ की स्थिति बन गई है।

इस बीच पाकिस्तानी अखबार डॉन ने चिंता जताई है कि भारत की तरफ से चिनाब नदी पर बनी रणबीर नहर की लंबाई को दोगुना किया जा सकता है। फिलहाल इस नहर की लंबाई 120 किलोमीटर है। पाकिस्तान को डर है कि यदि इस परियोजना को पूरा कर लिया गया तो फिर वहां पानी की किल्लत हो जाएगी।

डॉन ने रॉयटर्स के हवाले से जो खबर प्रकाशित की है, उसका शीर्षक था – नए सिंधु नदी प्रोजेक्ट के माध्यम से पाकिस्तान की वाटर सप्लाई कम करने का प्लान। इस खबर में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि यदि चिनाब नदी पर यह नहर बढ़ा दी गई तो भारत हर सेकंड 150 क्यूबिक मीटर पानी को डायवर्ट कर सकेगा, जबकि फिलहाल 40 क्यूबिक मीटर पानी ही डायवर्ट होता है। चिनाब नदी के जल का पाकिस्तान के पंजाब में बड़े पैमाने पर खेती की सिंचाई और पानी के उपयोग के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

पाकिस्तानी सूत्रों का कहना है कि भारत में सीजफायर के बावजूद इस मुद्दे पर गंभीरता से मंथन चल रहा है। डॉन की खबर से यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान इस नहर के विस्तार को लेकर चिंतित है, क्योंकि इससे उसकी जल आपूर्ति पर बड़ा असर पड़ सकता है।

भारत की ओर से अब तक इस नहर के विस्तार को लेकर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है, लेकिन रॉयटर्स की रिपोर्ट के आधार पर पाकिस्तान में खौफ की स्थिति बनी हुई है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को भी कहा था कि जब तक पाकिस्तान की आतंकवाद की नीति जारी रहेगी, तब तक सिंधु जल समझौते पर रोक लगी रहेगी।

पाकिस्तान इस समझौते को रोकने से बौखलाया हुआ है और उसका कहना है कि यदि भारत ने पानी को डायवर्ट किया तो यह एक युद्ध जैसी हरकत होगी। पाकिस्तान का यह भी कहना है कि सिंधु और उसकी सहायक नदियों के जल पर उसकी 80 फीसदी कृषि निर्भर है, और यदि पानी की आपूर्ति प्रभावित हुई तो देश में कृषि संकट पैदा हो सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की ओर से नए डैम, नहर और जल परियोजनाओं को लागू करने में वक्त लगेगा, लेकिन अगर यह योजनाएं पूरी होती हैं तो पाकिस्तान पर इसका असर सालों बाद महसूस हो सकता है।