बच्चों में कोरोना वैक्सीन को लेकर मिली खुशखबरी, शुरुआती परीक्षणों में दिखे बेहतरीन परिणाम

कोरोना ने पूरी दुनिया में अपना कहर बरपाया हैं जिसमें करोड़ों लोगों को संक्रमित करते हुए लाखों लोगों की जान गई हैं। ऐसे में अगली लहर के लिए कहा जा रहा हैं कि यह बच्चों के लिए घातक साबित हो सकती हैं। ऐसे में बच्चों के लिए वैक्सीन का इंतजाम करना बहुत जरूरी हैं और कई देशों में इस पर परिक्षण जारी हैं। बच्चों में कोरोना वैक्सीन को लेकर अच्छी खबर सामने आ रही हैं जहां मॉडर्ना का कोरोना टीका और प्रोटीन आधारित एक अन्य प्रायोगिक टीके ने शुरुआती परीक्षणों में बेहतरीन परिणाम दिखाए हैं। बंदर की एक प्रजाति रीसस मैकाक (अफ्रीकी लंगूर) के बच्चों पर किए गए शुरुआती परीक्षण में ये टीके पूरी तरह सुरक्षित और शरीर में सार्स-कोव-2 वायरस से लड़ने में कारगर एंटीबॉडी बढ़ाने में सफल रहे हैं। खतरे की आशंका के बीच रूस ने 8 से 12 साल तक के बच्चों के लिए अपनी कोरोना रोधी वैक्सीन स्पूतनिक-वी के नैजल स्प्रे का परीक्षण शुरू कर दिया है। इससे बच्चों की नाक में दवा का स्प्रे कर उन्हें डोज दिया जाएगा।

अध्ययन के मुताबिक, रीसस मैकाक प्रजाति के 16 छोटे बंदरों में टीके की वजह से वायरस से लड़ने की क्षमता 22 हफ्तों तक बनी रही। अमेरिका स्थित न्यूयॉर्क-प्रेस्बिटेरियन कॉमन स्काई चिल्ड्रन हॉस्पिटल की सेली पर्मर ने कहा, कम उम्र के बच्चों के लिए सुरक्षित और प्रभावी टीके से कोरोना के प्रसार को सीमित करने में मदद मिलेगी, क्योंकि हम जानते हैं कि भले ही बच्चे सार्स-कोव-2 के संक्रमण से बीमार हों या बिना लक्षण वाले हों, वे इस वायरस का दूसरों में प्रसार कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, कई बच्चे बीमार हुए और यहां तक कि संक्रमण की वजह से कई की मौत तक हो गई। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ नार्थ कैरोलिन की प्रोफेसर क्रिस्टिना डि पेरिस के मुताबिक, मैकाक के बच्चों में भी एंटीबॉडी का स्तर व्यस्क बंदरों जैसा ही दिखाई दिया है। हालांकि व्यस्कों की 100 माइक्रोग्राम खुराक के मुकाबले बच्चों को महज 30 माइक्रोग्राम ही खुराक दी गई थी।