नई दिल्ली। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल को नोटिस जारी किया है। मामला दो विधानसभा के वोटर आईडी कार्ड से जुड़ा हुआ है। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अरजिंदर कौर ने आरोपी सुनीता केजरीवाल को समन जारी किया है। भाजपा नेता हरीश खुराना ने कोर्ट में याचिका दायर की थी।
भाजपा नेता ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि कि सीएम की पत्नी ने आरपी एक्ट का उल्लंघन किया है। खुराना ने दावा किया था कि सुनीता केजरीवाल के पास दो वोटर आईडी कार्ड हैं। एक साहिबाबाद विधानसभा और दूसरा आईडी कार्ड चांदनी चौक विधानसभा से है। अगर इस मामले में सुनीता दोषी पाई जाती हैं तो उन्हें दो साल की सजा हो सकती है। आरपी एक्ट के तहत कोई भी नागरिक एक से ज्यादा विधानसभा में नामांकन नहीं करा सकता है।
यह कार्रवाई दिल्ली के भारतीय जनता पार्टी के नेता हरीश खुराना द्वारा वर्ष 2019 में की गई एक शिकायत के आधार पर की गई है। हरीश खुराना ने आरोप लगाया था कि सुनीता केजरीवाल के पास उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के साहिबाबाद निर्वाचन क्षेत्र और दिल्ली के चांदनी चौक, दोनों का मतदाता पहचान पत्र है और उनका नाम इन निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूचियों में दर्ज है।
इसी आधार पर अब तीस हजारी न्यायालय की मैजिस्ट्रेट अरजिंदर कौर ने एक आदेश देते हुए सुनीता को तलब किया गया है। सुनीता पर लोक प्रतिनिधिव अधिनियम, 1950 की धारा 17 का उल्लंघन करने का आरोप लगा है। इस मामले की सुनवाई 18 नवम्बर 2023 को होगी। सुनीता केजरीवाल भी राजस्व सेवा अधिकारी थीं लेकिन उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी।
न्यायिक मामलों के समाचार देने वाली वेबसाइट बार एंड बेंच के अनुसार, न्यायालय ने इस मामले में कहा, “शिकायतकर्ता और अन्य गवाहों की गवाही पर विचार करने के बाद, इस न्यायालय की राय है कि प्रथम दृष्टया आरोपित सुनीता केजरीवाल के खिलाफ जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 31 के तहत दंडनीय अपराधों का मामला बनता है। इसी लिए आरोपित को तलब किया जाता है।”
नियमानुसार, कोई भी नागरिक मात्र एक ही मतदाता पहचान पत्र रख सकता है और एक ही लोकसभा अथवा विधानसभा की मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करवा सकता है। मतदाता सूची में नाम दर्ज करवाते समय इस बात की पुष्टि भी करनी होती है कि आवेदक का नाम पहले से किसी सूची दर्ज तो नहीं, ऐसा होने पर एक जगह से अपना नाम मतदाता सूची से हटवाना होता है।
दो जगह पर नाम होना आपराधिक कृत्य है। यदि ऐसा सिद्ध हो जाता है कि किसी ने दो जगह अपना नाम दर्ज करवा रखा है तो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 31 के अंतर्गत ऐसा अपराध करने वाले को 1 वर्ष तक की सजा अथवा जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं।