मोदी की प्रचंड जीत के बाद बदले 'TIME' मैगजीन के सुर, बताया 'भारत को जोड़ने वाले नेता'

लोकसभा चुनाव 2019 के प्रचार के दौरान 10 मई को दुनिया की बहुप्रतिष्ठित मैग्जीन TIME ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ‘डिवाइडर-इन-चीफ’ यानी 'तोड़ने वाला मुखिया' शब्द का इस्तेमाल किया था। टाइम के इस कवर पर दुनियाभर में बवाल मच गया था। लेकिन प्रचंड बहुमत वाले परिणाम आने के बाद टाइम मैगजीन के सुर बदल गए हैं। अब टाइम को यकीन हो रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी 'डिवाइडर' नहीं हैं बल्कि भारत को जोड़ने वाले नेता हैं। मंगलवार को मैग्जीन ने अपने एक आर्टिकल में नरेंद्र मोदी को देश को जोड़ने वाला बताया है। TIME ने लिखा है कि जो दशकों में कोई प्रधानमंत्री नहीं कर पाया, वो नरेंद्र मोदी ने कर दिया।

दरअसल, TIME मैग्जीन पर एक ओपिनियन आर्टिकल छपा है जिसका टाइटल है ‘Modi has united India like no Prime Minister in decades’ यानी दशकों में जो कोई अन्य प्रधानमंत्री नहीं कर सका, उस तरह नरेंद्र मोदी ने भारत को जोड़ दिया। मैग्जीन में ये आर्टिकल मनोज लाडवा ने लिखा है, जिन्होंने 2014 में Narendra Modi For PM का कैंपेन चलाया था। लेख में इस चुनाव की सबसे बड़ी उपलब्धि बताई है कि नरेंद्र मोदी ने देश में काफी समय से चल रहे जातिवाद को खत्म किया है और एकजुट कर लोगों का मत प्राप्त किया है। नरेंद्र मोदी ने पिछड़ी जाति के लोगों को अपने हक में लाने में कामयाबी पाई है, लेकिन वेस्टर्न मीडिया अभी भी नरेंद्र मोदी को अगड़ी जाति के नेता के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहा था।

लेख में नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए लिखा गया है कि किस तरह उन्होंने एक गरीब परिवार से होते हुए भी देश के सबसे बड़े पद पर जगह बनाई और गांधी परिवार से राजनीतिक लड़ाई लड़ी। लेखक ने लिखा कि पिछले पांच साल में कई आलोचनाओं के बाद भी जिस तरह नरेंद्र मोदी ने देश को एक सूत्र में पिरोया है, वैसा पिछले पांच दशक में कोई प्रधानमंत्री नहीं कर पाया।

क्या लिखा था मैग्जीन ने 10 मई के एडिशन में

बता दें कि 10 मई को मैग्जीन ने अपने कवर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर छापी थी। इसका टाइटल ‘Divider in Chief’ दिया गया था यानी बांटने वालों का प्रमुख। जिसपर देश में काफी बवाल हुआ था। उस आर्टिकल को आतिश तसीर ने लिखा था, उन्होंने अपने लेख में बीते पांच साल में हुई लिंचिंग को आधार बना नरेंद्र मोदी की कड़ी आलोचना की थी। अपने लेख में लिखा था कि भारत में मोदी के खिलाफ कोई बेहतर विकल्प नहीं है। बहुसंख्यक आबादी उन्हें एक ऐसे शख्स के रूप में देखती है जो समाज में विभाजन करने का काम करता है। साथ ही यह भी कहा था कि दिल्ली की सत्ता पर वो एक बार फिर काबिज हो सकते हैं। टाइम मैग्जीन ने 1947 के उस इतिहास का जिक्र किया था जब भारत को आजादी मिली थी और ये बताया था कि किस तरह पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू ने धर्मनिरपेक्षता को सरकार का मूल माना। उनके मुताबिक धर्म का राज्य की नीतियों में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। लेकिन बदलते हुए समय के साथ कांग्रेस का वंशवाद भारतीय राजनीतिक का एक प्रमुख चेहरा बना। कई कालखंडों के सफर को तय करते हुए अलग अलग दलों के नेताओं ने कांग्रेस को चुनौती पेश की। लेकिन 2014 का साल बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ।

टाइम की रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में भारत के राष्ट्रीय राजनीतिक क्षितिज पर एक ऐसे शख्स( नरेंद्र मोदी) का अवतरण हुआ जो कांग्रेस की उन नीतियों और सिद्धांतों की मुखालफत कर रहा था जिसे कांग्रेस पार्टी अपनी कामयाबी के रूप में पेश करती थी। 2014 में जब नतीजे सामने आए तो कांग्रेस पूरी तरह सिकुड़ चुकी थी। एक ऐसी पार्टी जो भारत के सभी हिस्सों पर राज कर चुकी थी उसके लिए संसद में नेता विपक्ष के लिए आवाश्यक आंकड़ों की कमी पड़ गई।

टाइम ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मोदी इस मायने में खुशनशीब हैं कि उनके खिलाफ कमजोर विपक्ष है। कांग्रेस की अगुवाई में और उसके साथ साथ एक ऐसा विपक्ष है जिसका कोई एजेंडा नहीं है वो सिर्फ पीएम मोदी को हराना चाहता है। इन सबके बीच पीएम मोदी को ये पता है कि 2014 में किए गए वायदों को पूरी तरह जमीन पर उतारने में नाकाम रहे लिहाजा वो उन मुद्दों या उन चेहरों को उजागर कर रहे हैं जो कहीं न कहीं अपने वादों को निभा पाने में नाकाम रहे थे।

यही वजह है कि वो अपने आशियाने में बैठकर ट्वीट कर ये बताते हैं कि वो क्यों वंशवाद और सल्तनत जैसी परंपरा के खिलाफ हैं।

बता दें कि लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को नरेंद्र मोदी की अगुवाई में 303 सीटें मिली हैं, तो वहीं उनके गठबंधन NDA को कुल 353 सीटें मिली हैं। ऐसा लंबे समय के बाद ही संभव हो पाया है जब एक ही दल की सरकार लगातार दो बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई हो।