नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति मामले में कथित तौर पर तिहाड़ जेल भेजे जाने के बाद से कई तरह के मोड़ सामने आए हैं। उनकी पार्टी - आम आदमी पार्टी (आप) ने जेल के अंदर उनकी हत्या की साजिश समेत कई आरोप लगाए, जिसके बाद तिहाड़ जेल अधिकारियों ने आरोपों का खंडन किया।
ताजा घटनाक्रम में, तिहाड़ प्रबंधन ने दावा किया कि केजरीवाल ने 6 अगस्त को उपराज्यपाल वीके सक्सेना को पत्र लिखकर जेल के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है। तिहाड़ अधिकारियों ने दिल्ली के सीएम को सूचित किया कि एलजी को लिखे उनके पत्र में कहा गया है कि आतिशी स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा फहराएंगी, जो दिल्ली जेल नियमों के तहत उन्हें दिए गए विशेषाधिकारों का दुरुपयोग है।
तिहाड़ की जेल नंबर 2 के अधीक्षक ने दिल्ली जेल नियम, 2018 के विभिन्न प्रावधानों का हवाला दिया और केजरीवाल को एक पत्र में सलाह दी कि ऐसी किसी भी अनुचित गतिविधि से दूर रहें अन्यथा उनके विशेषाधिकार कम कर दिए जाएंगे।
पिछले सप्ताह उपराज्यपाल को लिखे पत्र में केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार के स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के दौरान उनकी जगह कैबिनेट मंत्री आतिशी राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगी।
हालांकि, उपराज्यपाल कार्यालय ने मुख्यमंत्री से कोई भी संदेश मिलने से इनकार किया है। केजरीवाल कथित आबकारी नीति घोटाले के सिलसिले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मामले में उन्हें सर्वोच्च न्यायालय ने अंतरिम जमानत दी है।
केजरीवाल को लिखे पत्र में तिहाड़ अधिकारियों ने कहा, उपरोक्त नियमों को पढ़ने से यह स्पष्ट है कि आपका संदेश जेल के बाहर भेजे जाने वाले स्वीकार्य संचार की श्रेणी में नहीं आता है। ऊपर परिभाषित लोगों के एक समूह के साथ केवल निजी पत्राचार ही स्वीकार्य है। इसलिए, आपका दिनांक 06.08.2024 का पत्र प्राप्तकर्ता को नहीं भेजा गया है, बल्कि दायर किया गया है।
पत्र मीडिया में लीक हो गया: तिहाड़ अधिकारीइसमें कहा गया,यह जानकर आश्चर्य हुआ कि 6 अगस्त को आपके द्वारा सौंपे गए पत्र की विषय-वस्तु बिना किसी अधिकार के मीडिया में लीक हो गई। यह दिल्ली जेल नियम, 2018 के तहत आपको दिए गए विशेषाधिकारों का दुरुपयोग है। जेल अधीक्षक ने केजरीवाल को ऐसी किसी भी अनुचित गतिविधि से दूर रहने की सलाह दी। पत्र में कहा गया है, ...ऐसा न करने पर मुझे आपके विशेषाधिकारों को कम करने के लिए दिल्ली जेल नियम, 2018 के प्रावधानों को लागू करने के लिए बाध्य होना
पड़ेगा। पत्र में नियम 588 का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि कैदियों द्वारा लिखे गए सभी पत्रों की विषय-वस्तु निजी मामलों तक ही सीमित होनी चाहिए।