ब्रिटिश हुकूमत की नींव को कमजोर किया गांधीजी के इन आन्दोलनों ने, आइये जानें

ब्रिटिश हुकूमत से देश को आजादी दिलाने में महात्मा गांधी के योगदान को कोई नहीं भुला सकता हैं। महात्मा गांधी के प्रयासों के चलते ही देश में कई आन्दोलन हुए जिन्होंने अंग्रेज सरकार की नींव को कमजोर करने का काम किया हैं। इन्हीं आंदोलन के चलते ही आज हम इस स्वतंत्र भारत की हवा में चैन की सांस ले पा रहे हैं। आज हम आपको महात्मा गांधी के उन प्रमुख आंदोलन की जानकारी देने जा रहे हैं जिसने ब्रिटिश हुकूमत को किल कर रख दिया।

भारत छोड़ो आंदोलन

भारत छोड़ो आंदोलन 9 अगस्त, 1942 ई। को संपूर्ण भारत में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आह्वान पर प्रारम्भ हुआ था। भारत की आजादी से सम्बन्धित इतिहास में दो पड़ाव सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण नजर आते हैं- प्रथम ‘1857 ई। का स्वतंत्रता संग्राम’ और द्वितीय ‘1942 ई। का भारत छोड़ो आन्दोलन’। भारत को जल्द ही आज़ादी दिलाने के लिए महात्मा गांधी द्वारा अंग्रेज शासन के विरुद्ध यह एक बड़ा ‘नागरिक अवज्ञा आन्दोलन’ था। ‘क्रिप्स मिशन’ की असफलता के बाद गांधी जी ने एक और बड़ा आन्दोलन प्रारम्भ करने का निश्चय ले लिया। इस आंदोलन को ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ का नाम दिया गया।

दांडी मार्च

दांडी मार्च से अभिप्राय उस पैदल यात्रा से है, जो महात्मा गांधी और उनके स्वयं सेवकों द्वारा 12 मार्च, 1930 ई। को प्रारम्भ की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य था- अंग्रेजों द्वारा बनाये गए ‘नमक कानून को तोड़ना। गांधी जी ने अपने 78 स्वयं सेवकों, जिनमें वेब मिलर भी एक था, के साथ साबरमती आश्रम से 358 कि।मी। दूर स्थित दांडी के लिए प्रस्थान किया। लगभग 24 दिन बाद 6 अप्रैल, 1930 ई। को दांडी पहुंचकर उन्होंने समुद्रतट पर नमक कानून को तोड़ा। महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा के दौरान सूरत, डिंडौरी, वांज, धमन के बाद नवसारी को यात्रा के आखिरी दिनों में अपना पड़ाव बनाया था। यहां से कराडी और दांडी की यात्रा पूरी की थी। नवसारी से दांडी का फासला लभभग 13 मील का है।

चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह

भारत में गांधी जी के नेतृत्व में सत्याग्रह आंदोलन के अंर्तगत अनेक कार्यक्रम चलाए गये थे। जिनमें प्रमुख है, चंपारण सत्याग्रह, बारदोली सत्याग्रह और खेड़ा सत्याग्रह। ये सभी आन्दोलन भारत की आजादी के प्रति महात्मा गांधी के योगदान को परिलक्षित करते हैं। गांधी जी ने कहा था कि, ये एक ऐसा आंदोलन है जो पूरी तरह सच्चाई पर कायम है और हिंसा का इसमें कोई स्थान नहीं है। बिहार के उत्तर-पश्चिम में स्थित चंपारण वह इलाका है जहां सत्याग्रह की नींव पड़ी। नील की खेती के नाम पर अंग्रेजी शासन द्वारा किसानों के शोषण के खिलाफ यहां गांधी के नेतृत्व में 1917 में सत्याग्रह आंदोलन चला था। खेड़ा सत्याग्रह गुजरात के खेड़ा जिले में किसानों का अंग्रेज सरकार की कर-वसूली के विरुद्ध एक सत्याग्रह (आन्दोलन) था।

संविनय अवज्ञा आंदोलन

इस आंदोलन के बारे में बात की जाए तो यह उन आंदोलन में से एक था जो ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ चलाया गया था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा इस आंदोलन को चलाया गया था। 1929ई। तक भारत को ब्रिटेन के इरादों का पता लगने लग गया था जिसके बाद भारत को यह शक था कि वह औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान करने की अपनी घोषणा पर अमल करेगा या नहीं करेगा। इसको लेकर घोषणा कर दी गई थी कि लाहौर अधिवेशन में उसका लक्ष्य भारत के लिए पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त करना था। इस आंदोलन के तहत नमक कानून का उल्लंघन कर खुद ही नमक बनाया गया।

खिलाफत आंदोलन

खिलाफत आंदोलन (1919-1924) भारत में मुख्यत: मुसलमानों द्वारा चलाया गया राजनीतिक-धार्मिक आंदोलन था। इस आंदोलन का उद्देश्य तुर्की में खलीफा के पद की पुन:स्थापना कराने के लिये अंग्रेजों पर दबाव बनाना था।