न्यूनतम आय गारंटी योजना पर कांग्रेस का नया एलान, 72 हजार रुपए सीधे जायेंगे घर की महिलाओं के खाते में

देश से गरीबी को जड़ से हटाने का कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने वादा कर दिया है। न्यूनतम आय गारंटी देने का दावा करते हुए राहुल गांधी ने कहा अगर पार्टी जीत दर्ज करती है तो सरकार देश के सबसे गरीब 20 प्रतिशत जनता को 72 हजार रुपये सालाना देगी। राहुल गांधी ने कहा कि इस योजना से पांच करोड़ परिवार यानि 25 करोड़ लोगों को फायदा होगा। आज उसी न्यूनतम आय योजना को लेकर कांग्रेस ने एक और बड़ी घोषणा कर दी। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेस कर बताया कि न्यूनतम आय योजना के तहत दी जानेवाली 72,000 रुपये की रकम सीधे घऱ की महिलाओं के खाते में डाले जाएंगे। कांग्रेस ने अपनी इस योजना को महिला केंद्रित योजना बताया है। इसके साथ ही कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी को पाखंडी बताते हुए गरीब विरोधी होने का आरोप भी लगाया।

महिला केंद्रित योजना

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ''हम साफ करना चाहते हैं कि ये टॉप स्कीन नहीं है, हर परिवार को 72,000 रुपया प्रतिवर्ष मिलेगा। ये महिला केंद्रित स्कीम है, ये 72,000 रुपये कांग्रेस पार्टी घर की गृहणी के खाते में जमा करवाएगी। यह स्कीम शहरों और गांवों पूरे देश के गरीबों पर ये योजना लागू होगी।''

सुरजेवाला ने कहा, ''गरीब विरोधी नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार न्याय स्कीम का विरोध कर रहे हैं। हम 130 करोड़ देशवासियों की ओर से आपसे पूछना चाहते बैं कि आप इस स्कीम के पक्ष में हैं या विरोधी हैं। पाखंडी मोदी जी अपने मित्रों और पूंजिपातियों का तीन लाख सत्रह हजार करोड़ माफ करते हैं लेकिन 20% गरीबी को 72,000 रुपये देने में आपको तकलीफ क्यों हैं।''

सुरजेवाला ने कहा, ''पाखंडी मोदी ये बता दीजिए कि आपके संरक्षण में बैंकों के भगोड़े देश की कमाई लेकर विदेश भाग सकते हैं लेकिन आपको गरीबों को 72,000 रुपया देने में पीड़ा है। पाखंड और ढोंग का लबादा पहने मोदी जी को देश को बताएं कि 89 विदेश दौरों पर देश का 2010 करोड़ और अपने प्रचार प्रसार पर 5000 करोड़ तो खर्च कर सकते हैं लेकिन गरीब परिवार को 72,000 देने में पीड़ा क्यों हैं।''

क्या है राहुल गाधी की गरीब परिवार को 72,000 रु. देने वाली योजना?

कांग्रस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कल एलान किया था कि हमारी सरकार बनी तो सबसे गरीब 20% परिवार को 72,000 रुपए सालाना मदद मिलेगी। इस न्यूनतम आय गारंटी योजना में अधिकतम 6000 रुपए महीने दिए जाएंगे। यानी अगर किसी गरीब परिवार की आय 12000 से कम होगी, तो सरकार उसे अधिकतम 6000 रुपए देकर उस आय को 12 हजार रुपये तक लाएगी

राहुल गांधी का दावा है कि इसका फायदा 5 करोड़ परिवारों को होगा, मतलब ये कि सरकारी खजाने पर 3.6 लाख करोड़ का बोझ आएगा। इससे सरकार का मौजूदा 7 लाख करोड़ का वित्तीय घाटा बढ़कर 10.6 लाख करोड़ हो जाएगा।

आखिर क्या है यूनिवर्सल बेसिक इनकम (Universal Basic Income)?

Outlook की एक खबर के मुताबिक, यूनिवर्सल बेसिक इनकम (Universal Basic Income) एक निश्चित आय है, जो देश के सभी नागरिकों- गरीब, अमीर, नौकरीपेशा, बेरोजगार को सरकार से मिलती है। इस आय के लिए किसी तरह का काम करने या पात्रता होने की शर्त नहीं रहती। आदर्श स्थिति है कि समाज के हर सदस्य को जीवन-यापन के लिए न्यूनतम आय का प्रावधान होना चाहिए।

क्यों है इस स्कीम की जरूरत?

- यूनिवर्सल बेसिक इनकम से लोगों के जीवनस्तर में बहुत हद तक बदलाव आ सकता है। इससे असमानता को पाटने में मदद मिलेगी और गरीबी खत्म की जा सकती है। लोग इससे अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होंगे, जो इतनी सारी योजनाओं के लागू होने के बाद भी नहीं हो पा रही है।

- महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, ओडिशा, झारखंड और बिहार के कई इलाकों में सरकारी नीतियों की उपेक्षा के कारण लोगों को अपना बुनियादी हक नहीं मिल पाया है। पिछले एक साल में सिर्फ झारखंड राज्य में भूख के कारण कई मौतों ने सिस्टम पर सवाल खड़े किए थे। किसानों की आत्महत्या और बेरोजगारी दर में बढ़ोतरी इस योजना को मुख्य काट हो सकता है।

- भारत इस साल वैश्विक भूख सूचकांक (ग्लोबल हंगर इंडेक्स) में 119 देशों की सूची में 103वें नंबर पर आया था। वहीं मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) की 189 देशों की सूची में 130वें नंबर पर है। इसके अलावा स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में भारत 195 देशों की सूची में 145वें स्थान पर है। जो देश के लोगों के औसत जीवन स्तर को बयां करता है। इसलिए भी यूबीआई की जरूरत महसूस की जा रही है।

क्या होगा यूबीआई देने का आधार?

यूनिवर्सल बेसिक इनकम किस तरीके से लागू होगी? इसके तहत कितने रुपये मिलेंगे, फिलहाल इसपर कुछ भी तय नहीं हुआ है। हाल ही में लोकसभा में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने यूबीआई का मसला उठाते हुए कहा था कि देश में गरीबी हटाने के लिए 10 करोड़ गरीब परिवारों के खाते में 3,000 रुपये डाले जाने चाहिए। फिलहाल सरकार हर मंत्रालयों से राय ले रही है।

इन देशों में है ऐसी सुविधा

विश्व के कई देशों में सरकारें इसी तरह की सुविधाएं दे रही हैं। इसमें ब्राजील, कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, जर्मनी, आयरलैंड जैसे देश शामिल हैं।