बांसवाड़ा : कोरोना कहर के बाद भावनाओं की हत्या, चिता की राख ठंडी होने से पहले ही दमकल ने बहा दी अस्थियां

कोरोना का कहर लगातार लोगों की जान ले रहा हैं। ऐसे में मृतकों के परिजनों की उनकी अस्थियों से जुड़ी भावनाएं होती हैं और वे इन्हें पवित्र गंगा में विसर्जित रखने की कामना रखते हैं। लेकिन बांसवाड़ा में भावनाओं की हत्या का मामला सामने आया हैं जहां चिता की राख ठंडी होने से पहले ही दमकल ने अस्थियां बहा दी। इसके बाद साफ हुए स्थान पर दूसरे अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू कर दी जाती है। ऐसा उन अस्थियों साथ किया जा रहा है जिन्हें परिजन लेने नहीं पहुंच पाते। नगर सभापति जैनेंद्र त्रिवेदी ने कहा कि परिषद के कर्मचारी जिम्मेदारी से शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। दमकल के पानी में अस्थियों को बहाने का मामला उनकी जानकारी में नहीं है। बल्कि उनकी जानकारी में तो श्मशान में अलग से पांच तांबे के लोटे रखवाए गए हैं, जिनका उपयोग ऐसी ही अस्थियों को ले जाने के लिए सुनिश्चित किया हुआ है।

गौरतलब है कि बांसवाड़ा में कोरोना पॉजीटिव शवों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी नगर परिषद की ओर से निभाई जा रही है। परिषद के तीन सफाई इंस्पेक्टर्स के जिम्मे यह व्यवस्थाएं हैं। अब तक इस श्मशान में 72 से अधिक संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार हो चुका है। जिसमें से 5 की अस्थियां लेने कोई परिजन नहीं पहुंचा तो दमकल के पानी के जरिए उन्हें बहा दिया गया। मामले में सफाई निरीक्षक सुरेश डामोर ने बताया कि घाटोल, गढ़ी, बोरी जैसे गांवों से जुड़े ऐसे शव यहां आए थे। जिनका अंतिम संस्कार नगर परिषद के कर्मचारियों द्वारा ही किया गया। बाद में परिजन अस्थियां लेने भी नहीं आए। ऐसे में परिजनों को सूचना दी गई। परिजनों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर अस्थियों को दमकल की मदद से बहा दिया गया। 72 शवों में ऐसे मामले पांच ही रहे।

परिषद की मानें तो हर शव के लिए दो किलोग्राम घी दिया जा रहा है। वहीं, तुलसी संस्कार जैसी रस्म भी पूरी कराई जा रही है। PPE किट की सुरक्षा में परिषद के चार कर्मचारी शवों का अंतिम संस्कार करते हैं। इसमें अधिकांश शव हॉस्पिटल से सीधे आने वाले हैं, जबकि ऐसे घर जहां मदद के लिए कोई परिजन नहीं है। परिषद की ओर से अंतिम संस्कार कराया जा रहा है।