प्याज के आसमान छूते दामों ने छिनी थी सुषमा से दिल्ली की गद्दी...

दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के तौर पर जब सुषमा स्वराज (Sushma Swaraj) ने कमान संभाली तो उनके सामने सबसे बड़ी समस्या दिल्ली में बढ़ते अपराध थी। लेकिन सुषमा स्वराज ने राजधानी में हो रहे अपराधों के सफाये के लिए कमर कस ली। इसके लिए उन्होंने खुद सड़कों पर उतरने का निर्णय लिया। हाल यह रहा कि सुषमा ने पुलिस जिप्सी में ही बैठकर कई बार रात में सड़कों पर गश्त भी की। उनका पहला लक्ष्य था कि राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा से कोई खिलवाड़ न हो। इस दौरान जगह जगह पर गाड़ी रोककर लोगों से पूछताछ करना और अकेली दिख रही महिलाओं को उनके घर तक पहुंचाना ये नजारा दिल्ली की सड़कों पर आम हो गया था। लोग भी बेखौफ थे कि एक ऐसी मुख्यमंत्री मिली हैं जो खुद लोगों की सुरक्षा में लगी हैं। सुषमा के इन सभी प्रयासों के बाद भी जब विधानसभा चुनाव हुए तो दिल्ली की जनता ने उन्हें नकार दिया। कारण था प्याज के आसमान छूते भाव। इस दौरान प्याज के भावों में रिकॉर्ड तेजी आई। महंगाई बढ़ने से नाराज हुई जनता ने सुषमा स्वराज की जगह पर शीला दीक्षित को चुना। लेकिन सुषमा कभी भी दिल्ली की राजनीति से दूर नहीं दिखीं। लालकृष्‍ण आडवाणी, मदनलाल खुराना और अरुण जेटली के साथ उनका भी दखल हमेशा दिल्ली के चुनावों में बना रहा।

एक रिपोर्ट के अनुसार 1998 में दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस ने शीला दीक्षित पर भरोसा दिखाया। इस दौरान शीला ने राजधानी में कांग्रेस की जड़ें जमाने का काम किया। बीजेपी की तरफ से सुषमा स्वराज ही मैदान में थीं। वो चुनाव सुषमा स्वराज बनाम शीला दीक्षित बन कर रह गया। इस दौरान शीला दीक्षित का जादू दिल्लीवासियों पर चल गया और बीजेपी यह चुनाव हार गई।

बता दे, आज सुषमा स्वराज हमारे बीच में नहीं है। मंगलवार रात को करीब 9 बजे उन्हें हार्ट अटैक आया था, जिसके बाद उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल ले जाया गया। लेकिन उनका निधन हो गया। बुधवार रात को ही पार्टी के कई बड़े नेता एम्स अस्पताल पहुंचे थे। बुधवार सुबह पहले उनके पार्थिव शरीर को उनके घर रखा गया, फिर बीजेपी मुख्यालय ले जाया गया। ना सिर्फ देश बल्कि दुनिया के कई बड़े नेताओं ने भी सुषमा स्वराज के निधन पर दुख व्यक्त किया।