
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को विवादित वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के कुछ हिस्सों पर अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत ने वक्फ बोर्ड और वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों की अनिवार्य नियुक्ति संबंधी प्रावधानों को 5 मई तक स्थगित करने का आदेश दिया है। साथ ही, कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि 'वक्फ बाय यूजर' की व्यवस्था को तब तक डीनोटिफाई नहीं किया जाए।
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया कि वक्फ बोर्डों या परिषदों में किसी भी प्रकार की नई नियुक्ति अगले आदेश तक नहीं की जाएगी। सरकार ने यह भी कहा कि पहले से अधिसूचित या राजपत्र में प्रकाशित वक्फ संपत्तियों, जिनमें 'वक्फ बाय यूजर' भी शामिल है, की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि 8 अप्रैल 2025 से लागू हुए नए कानून में 'वक्फ बाय यूजर' की व्यवस्था को हटाया गया है। इस प्रावधान के तहत अब तक किसी संपत्ति को लंबे समय तक धार्मिक या समाजसेवी उपयोग में रहने के आधार पर वक्फ घोषित किया जा सकता था, भले ही उसके पास कोई औपचारिक दस्तावेज न हो।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट से प्रारंभिक जवाब दाखिल करने के लिए 7 दिनों का समय मांगा, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। अदालत ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे इसके बाद 5 दिनों के भीतर अपना प्रत्युत्तर दाखिल करें।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि पूरे कानून पर रोक नहीं लगाई जाएगी। मुख्य न्यायाधीश ने कहा,
हमने कहा है कि इस कानून में कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं। इसलिए पूरे अधिनियम पर रोक नहीं लगाई जा सकती। लेकिन हम यह भी नहीं चाहते कि वर्तमान स्थिति में कोई बदलाव हो।
कोर्ट की यह टिप्पणी अधिनियम के एक अन्य विवादास्पद प्रावधान की ओर भी संकेत करती है, जिसके अनुसार कोई व्यक्ति इस्लाम अपनाने के 5 वर्ष पूरे होने से पहले वक्फ नहीं कर सकता।
गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने पर सवाल
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र से यह भी सवाल किया कि क्या मुस्लिम समुदाय को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में शामिल किया जा सकता है? यह सवाल उन प्रावधानों के संदर्भ में उठा जिसमें नए कानून में वक्फ बोर्ड और परिषद में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना अनिवार्य किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगाते हुए कहा कि अगली सुनवाई तक 'वक्फ बाय यूज़र' प्रावधान के अंतर्गत चिन्हित संपत्तियों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
क्या है मामला?अब तक इस संशोधन अधिनियम के खिलाफ लगभग 72 याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं, जिनमें AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB), जमीअत उलमा-ए-हिंद, DMK पार्टी और कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी व मोहम्मद जावेद शामिल हैं।
केंद्र को 7 दिन का समय, फिर होगी आगे की कार्रवाईसुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से 7 दिन का समय मांगा ताकि केंद्र सरकार अपना विस्तृत जवाब दाखिल कर सके। कोर्ट ने यह समय प्रदान करते हुए निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता इसके बाद पांच दिन के भीतर अपनी प्रतिक्रिया दाखिल कर सकते हैं।
कोर्ट के आदेश की मुख्य बातें:• कोई नई नियुक्ति नहीं होगी – वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में संशोधित अधिनियम के तहत नियुक्तियों पर रोक।
• वक्फ संपत्तियों की यथास्थिति बनी रहेगी, खासकर ‘वक्फ बाय यूज़र’ के अंतर्गत दर्ज संपत्तियों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं।
• संशोधित अधिनियम पर रोक नहीं, लेकिन केंद्र का आश्वासन कोर्ट के रिकॉर्ड पर लिया गया।
• अगली सुनवाई 5 मई को दोपहर 2 बजे, लेकिन कोई विस्तृत बहस नहीं होगी उस दिन।