नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ प्रचार को लेकर भाजपा को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है। इससे पहले टीएमसी को 'नीचा दिखाने वाले' भाजपा के विज्ञापन पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ भाजपा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। शीर्ष न्यायलय ने भी कहा कि इस तरह के विज्ञापन अपमानित करने वाले हैं। आप कह सकते हैं कि आप सबसे अच्छे हैं लेकिन दूसरों के बारे में इस तरह की बातें नहीं कर सकते। हम आपको इस तरह की कटुता बढ़ाने की छूट नहीं दे सकते। यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा की याचिका खारिज कर दी।
जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस केवी विश्वनाथन की वैकेशन बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी। बेंच ने कहा कि राजनीतिक दलों को ध्यान रखना चाहिए कि वे चुनावी प्रक्रिया के दौरान भी अपना मानक बनाकर रखें और एकता-अखंडता को बनाए रखें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब साफ-साफ दिख रहा है कि इस तरह के विज्ञापन आपत्तिजनक हैं तो हाई कोर्ट के आदेश में दखल क्यों दिया जाए।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने 20 मई के अपने फैसले में भाजपा पर टीएमसी के खिलाफ कुछ विज्ञापन पब्लिश करने पर रोक लगा दी थी। कहा गया था कि इन विज्ञापनों में टीएमसी और इसके कार्यकर्ताओं पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। 4 जून तक इन विज्ञापनों को छापने पर रोक लगी थी। भाजपा की तरफ से पेश हुए वकील पीएस पटवालिया ने कहा कि फैसला सुनाने से पहले सिंगल जज की बेंच ने भाजपा को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया। यह मामला चुनाव आयोग के पास भी पहुंचा था और वह भी इस पर विचार कर रहा था। चुनाव आयोग ने भाजपा को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था।
बेंच ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि टीएमसी ने चुनाव आयोग के पास भी शिकायत की थी। कोर्ट ने कहा, आखिर चुनाव आयोग ने अब तक क्या किया? क्या आदेश के बाद भी आयोग ने कोई कदम उठाया? हमें तो कुछ पता नहीं चला। टीएमसी ने 4, 5, 10 और 12 मई के विज्ञापन पर लिखित शिकायत की थी। सुप्रीम कोर्ट ने पटवालिया से कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दखल नहीं देना चाहता। इसके बाद उन्होंने खुद ही अपनी याचिका वापस ले ली। ज्ञातव्य है कि पश्चिम बंगाल में आखिरी चरण का मतदान 1 जून को होना है। राज्य की 42 लोकसभा सीटों पर सभी चरणों में मतदान संपन्न कराया गया है।