नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 9 अगस्त को एक जूनियर डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या के मुकदमे को पश्चिम बंगाल से बाहर स्थानांतरित करने की मांग को खारिज कर दिया और कहा कि हम अपनी न्यायिक प्रणाली की वैधता पर संदेह पैदा करेंगे।
मुकदमे को स्थानांतरित करने का अनुरोध एक वकील ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ के समक्ष किया।
हालांकि, न्यायालय ने अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। न्यायालय ने कहा, हां, हमने मणिपुर (मणिपुर हिंसा मामला) जैसे मामलों में ऐसा किया है (मुकदमे को राज्य से बाहर स्थानांतरित किया है)। लेकिन हम यहां ऐसा कुछ नहीं कर रहे हैं। ऐसा कोई स्थानांतरण नहीं है।
पश्चिम बंगाल के लोगों का पुलिस और न्यायपालिका पर से विश्वास उठ रहा है, वकील ने जोर देकर कहा। हालांकि, न्यायालय इससे सहमत नहीं था।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने जवाब दिया, लोगों के बारे में बात मत कीजिए। आप अभी किसके लिए पेश हो रहे हैं? ऐसे सामान्य बयान मत दीजिए। ऐसी कोई बात ही नहीं है।
पीठ 31 वर्षीय रेजिडेंट डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के संबंध में स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी, जो पश्चिम बंगाल के कोलकाता में सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मृत पाई गई थी।
डॉक्टर 9 अगस्त को कॉलेज के सेमिनार हॉल में मृत पाई गई थी। पोस्टमार्टम से पुष्टि हुई कि उसके साथ बलात्कार किया गया था और उसकी हत्या की गई थी। इस घटना से देश भर में आक्रोश फैल गया और देश के विभिन्न हिस्सों में डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी और चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त कानून और पुलिस व्यवस्था की मांग की।मामले की जांच अंततः कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी गई। पश्चिम बंगाल की एक ट्रायल कोर्ट ने हाल ही में आरोपी संजय रॉय के खिलाफ बलात्कार और हत्या के लिए आपराधिक आरोप तय किए हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को ट्रायल कोर्ट में होगी।