नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को रविवार को होने वाली NEET-PG परीक्षा को स्थगित करने से इनकार कर दिया। इस मामले में एक याचिका खारिज कर दी गई, जिसमें परीक्षा केंद्रों के आवंटन और दो बैचों के अंकों के सामान्यीकरण को लेकर चिंताओं का हवाला दिया गया था। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, हम नई शिक्षा नीति नहीं बना सकते हैं और यह कोई आदर्श दुनिया नहीं है।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि ऐसी संभावना है कि अभ्यर्थियों के एक बैच को दूसरे बैच की तुलना में अधिक कठिन प्रश्नपत्र का सामना करना पड़ सकता है और परीक्षा आयोजित होने से पहले सामान्यीकरण का फार्मूला प्रकट किया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं और कई अभ्यर्थियों को ऐसे शहर आवंटित किए गए हैं, जहां पहुंचना उनके लिए बेहद असुविधाजनक है, क्योंकि परीक्षा केंद्रों का खुलासा परीक्षा से सिर्फ दो दिन पहले किया गया है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि याचिका स्वीकार कर ली जाती है तो दो लाख छात्र और चार लाख अभिभावक पीड़ित होंगे और पूछा, पांच याचिकाकर्ताओं के कहने पर, क्या हमें दो लाख छात्रों के करियर को खतरे में डालना चाहिए?
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, हम इन याचिकाकर्ताओं के कारण इतने सारे उम्मीदवारों के करियर को खतरे में नहीं डाल सकते।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने दलील दी कि उम्मीदवारों के लिए सुबह एक परीक्षा और दोपहर में दूसरी परीक्षा देना मुश्किल होगा।
मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ
जिसमें न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे, ने याचिका खारिज कर दी और आदेश दिया, हम इस पर विचार नहीं कर रहे हैं।
मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए नीट-पीजी प्रवेश परीक्षा पहले 23 जून को आयोजित होने वाली थी। कुछ प्रतियोगी परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे एहतियाती उपाय के तौर पर स्थगित कर दिया था।