देशभर में पटाखों की बिक्री और पटाखे चलाने पर रोक की याचिका पर फैसला सुनाया है। अपने इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने संतुलन बनाने की कोशिश की है। कोर्ट ने कहा है कि देश में पटाखों पर पूरी तरह बैन नहीं लगाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश जारी किए हैं जिसमें कम एमिशन वाले पटाखों को ही इजाजत मिली है और सिर्फ लाइसेंसधारी वाले ही पटाखे बेचे जा सकेंगे। इसके साथ ही ऑनलाइन पटाखों की बिक्री पर भी रोक लगा दी गई है। दीवाली पर आतिशबाजी से प्रदूषण के खतरे के मद्देनजर सुप्रीमकोर्ट ने आतिशबाजी और पटाखों की बिक्री की अनुमति तो दे दी है लेकिन कुछ शर्तों के साथ। आइए जानते हैं क्या हैं सुप्रीम कोर्ट की शर्तें...
- केवल कम प्रदूषण करने वाले पटाखे बेचने की अनुमति होगी।
- ये पटाखे एक तय समय में और तय किए गए एरिया में ही बेचे जाएंगे।
- सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा, इस आदेश पर अमल करने के लिए हर इलाके का SHO जवाबदेह होगा, और अगर आदेश का पालन नहीं हुआ, तो SHO को निजी तौर पर कोर्ट की अवमानना का दोषी माना जाएगा।
- सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर पूरी तरह प्रतिबंध से इंकार कर दिया।
- ये पटाखे दीवाली के दिन केवल रात 08 बजे से 10 बजे के बीच छोड़े जा सकेंगे।
- क्रिसमस और नए साल के मौके पर फायरक्रैकर्स रात 11.55 से रात 12.30 तक ही छोड़े जा सकेंगे।
- केवल वही पटाखे बेचने और छोडने की अनुमति होगी, जो कम धुआं और प्रदूषण फैलाएं। इन पटाखों को केवल लाइसेंसी दुकानों से खरीदा जा सकेगा।
- कोर्ट का कहना है कि हमने दीवाली के मौके पर परंपरा को देखते हुए और प्रदूषण के संकट के मद्देनजर संतुलन स्थापित करने की कोशिश की है।
- पटाखों को ऑनलाइन नहीं बेचा सकता है, जो साइट्स ऐसा करेंगी, उन पर कार्रवाई की जाएगी।
- सुरक्षित और ग्रीन पटाखों का निर्माण और बिक्री पहले की तरह जारी रहेगी।
- संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) सभी वर्ग के लोगों पर लागू होता है और पटाखों पर देशव्यापी प्रतिबंध पर विचार करते समय संतुलन बरकरार रखने की जरूरत है।
आपको बता दें कि 28 अगस्त को जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने दलील पूरी होने के बाद फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने देशभर में पटाखों की बिक्री पर बैन का विरोध किया। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा-पटाखों के उत्पादन को लेकर नियम बनाना बेहतर कदम है। एल्युमिनियम और बेरियम जैसी सामग्री का इस्तेमाल रोकना सही होगा। तमिलनाडु सरकार, पटाखा उत्पादकों और विक्रेताओं ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- बिना किसी ठोस वैज्ञानिक रिसर्च के कोर्ट ने पिछले साल दिल्ली में पटाखों की बिक्री रोक दी थी। इससे लाखों लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ। प्रदूषण के लिए पटाखों से ज्यादा कई अन्य चीजें जिम्मेदार हैं।