नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हरियाणा सरकार को शंभू सीमा पर बैरिकेड खोलने और यातायात को नियंत्रित करने का निर्देश दिया और कड़ी टिप्पणी करते हुए हरियाणा से पूछा कि कोई राज्य सरकार ‘राजमार्ग को कैसे अवरुद्ध कर सकती है।’
न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान ने हरियाणा सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से पूछा, कोई राज्य राजमार्ग को कैसे रोक सकता है? यातायात को नियंत्रित करना उसका कर्तव्य है। हम कह रहे हैं कि इसे खोलो लेकिन (वाहनों की आवाजाही को) नियंत्रित करो।
न्यायमूर्ति भुइयां और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब अधिवक्ता ने उन्हें बताया कि हरियाणा पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के 10 जुलाई के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाने की प्रक्रिया में है, जिसमें राज्य को शंभू में सात दिनों के भीतर यातायात बहाल करने का निर्देश दिया गया था।
पंजाब और हरियाणा के बीच सीमा पर 13 फरवरी से ही भारी बैरिकेडिंग और बंद कर दिया गया है, जब पंजाब से विभिन्न किसान संगठन फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों के समर्थन में दिल्ली की ओर बढ़ना शुरू कर दिया था।
हालांकि, हरियाणा पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के साथ झड़पें हुईं और किसान सीमा पार करने में असमर्थ रहे और तब से वहीं डेरा डाले हुए हैं। हालांकि, उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए किसानों ने कहा कि वे राष्ट्रीय राजधानी की ओर अपना मार्च फिर से शुरू करेंगे।
किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी) के किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा, अब यह स्पष्ट हो गया है कि यह हरियाणा ही था जिसने राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध किया था और हमें और लाखों लोगों को असुविधा पहुंचाई
थी। उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार बैरिकेड्स हटाए जाने के बाद हम 16 जुलाई को बैठक करेंगे।
किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के रमनदीप सिंह मान के अनुसार, ‘दिल्ली चलो’ का आह्वान कभी वापस नहीं लिया गया। मान ने कहा, “हम संबंधित अधिकारियों से दिल्ली में एक स्थान निर्धारित करने के लिए
कहेंगे, ताकि हमें शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति मिल सके।”