अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद: ओवैसी ने उठाए श्री श्री रविशंकर को मध्यस्थ बनाए जाने पर सवाल

सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने मध्यस्थता के जरिए राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले को सुलझाने का फैसला लिया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने दोनों पक्षों से बातचीत के जरिए केस का समाधान करने के लिए कुल तीन मध्यस्थका पैनल नियुक्त किए हैं। जिनमें एक मध्यस्थ सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस कलीफुल्ला (Kalifulla) हैं तो दूसरे वकील श्रीराम पांचू (Sriram Panchu) और मीडिएटर हैं, जबकि तीसरे मध्यस्थ आध्यात्मिक गुरु श्री-श्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar) हैं। इस पैनल की अध्यक्षता जस्टिस कलीफुल्ला करेंगे। हालांकि कोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय पैनल में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर को शामिल किए जाने पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने आपत्ति जताई है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि श्री श्री रविशंकर को सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थ बनाया है लेकिन उनका पहले का एक बयान सबके सामने है जिसमें वह कहते हैं कि अगर मुसलमान अयोध्या पर अपना दावा नहीं छोड़ते हैं तो भारत सीरिया बन जाएगा।

अपना विरोध जताते हुए ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने आगे कहा कि बेहतर होता कि SC ने किसी न्यूट्रल व्यक्ति को मध्यस्थ बनाया होता। उन्होंने कहा, 'श्रीश्री का 4 नवंबर 2018 का ऑन रिकॉर्ड स्टेटमेट हैं, जिसमें वह सीरिया बनने की मुसलमानों को धमकी दे रहे हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट ने श्रीश्री रविशंकर को मध्यस्थ बनाया है तो उन्हें न्यूट्रल रहना होगा।

AIMIM चीफ ने कहा कि मेरी पार्टी का स्टैंड यह है कि एक मध्यस्थ का विवादित बयान है तो उसे मध्यस्थ नहीं बनाया जाना चाहिए था लेकिन अब हम उम्मीद करते हैं कि श्री श्री अपने पुराने बयान को अपने दिमाग से निकाल देंगे। उन्होंने कहा, 'उम्मीद है कि श्री श्री अपनी जिम्मेदारियों को समझेंगे।' इसके साथ ही मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के किसी सदस्य को मध्यस्थ नहीं बनाए जाने के सवाल पर ओवैसी ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट का अधिकार है कि वह किसे मध्यस्थ नियुक्त करता है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर श्रीश्री रविशंकर ने ट्वीट किया है कि सबका सम्मान करना, सपनों को साकार करना, सदियों के संघर्ष का सुखांत करना और समाज में समरसता बनाए रखना - इस लक्ष्य की ओर सबको चलना है। इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद भी रविशंकर ने कहा था कि हमें अपने अहंकार और मतभेदों को अलग रखकर इस विषय से संबंधित सभी दलों की भावनाओं का सम्मान करते हुए सबको साथ लेकर आगे बढ़ना चाहिए। उस समय आध्यात्मिक गुरु ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्यस्थता को प्राथमिकता देना देश के और इस विषय से संबंधित सभी दलों के हित में है। इस विवाद को मैत्रीपूर्ण रूप से सुलझाने का हमें पूरा प्रयास करना चाहिए।

कौन है श्री श्री रविशंकर (Sri Sri Ravi Shankar)

रविशंकर का जन्म तमिलनाडु में 13 मई 1956 को हुआ। उनके पिता का नाम वेंकट रत्न था जो भाषाविद थे। आदि शंकराचार्य से प्रेरणा लेते हुए पिता ने उनका नाम रविशंकर रखा। रविशंकर धर्म और अध्यात्म के प्रख्यात गुरु हैं। दुनिया भर में उनकी पहचान है। श्री श्री रविशंकर के अनुयायी न सिर्फ देश बल्कि विदेशों में भी फैले हुए हैं। श्री श्री रविशंकर आर्ट ऑफ लिविंग नाम की एक संस्था चलाते हैं। जिसके जरिए वह लोगों को जीने की कला सिखाते हैं। 1982 में रविशंकर ने ऑर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन की स्थापना की। सुदर्शन क्रिया ऑर्ट ऑफ लिविंग कोर्स का आधार है। रविशंकर पहले महर्षि योगी के शिष्य थे। उन्होंने तब अपने नाम के आगे श्री श्री लगाना शुरू किया, जब प्रख्यात सितार वादक रविशंकर ने आरोप लगाया था कि वे उनके नाम की प्रसिद्धि का लाभ उठा रहे हैं। युद्ध से प्रभावित लोगों के लिए श्री श्री रविशंकर ने सहायता कैम्प भी लगवाया है। इराक में भी संस्था ने 2003 में युद्ध प्रभावित लोगों को तनाव मुक्ति के उपाय बताए। इराक के प्रधानमंत्री के निमंत्रण पर श्री श्री रवि शंकर ने इराक का दौरा किया और वहां के शिया, सुन्नी तथा कुरदिश समुदाय के नेताओं से बातचीत की।