गोल्‍डन बाबा का हुआ निधन, AIIMS में चल रहा था इलाज

पूर्वी दिल्ली स्थित गांधी नगर के रहने वाले चर्चित गोल्‍डन बाबा उर्फ सुधीर कुमार मक्‍कड़ का निधन हो गया है। लंबी बीमारी के बाद उन्‍होंने एम्‍स में आखिरी सांस ली। गोल्‍डन बाबा हरिद्वार के कई अखाड़ों से जुड़े हुए थे। गोल्‍डन बाबा मूल रूप से गाजियाबाद के रहने वाले थे। बाबा बनने से पहले वह एक गारमेंट व्‍यवसायी थे। अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए सुधीर कुमार मक्कड़ गोल्डन बाबा बन गए। गांधी नगर के अशोक गली में गोल्डन बाबा का आश्रम है।

गोल्‍डन बाबा को आभूषणों का बहुत शौक था। वह 20 किलो स्‍वर्ण आभूषण और 21 लग्‍जरी कारों के साथ कांवड़ यात्रा पर गए थे। इसकी हर तरफ चर्चा हुई थी। कांवड़ यात्रा के दौरान उनके साथ सेल्फी लेने की होड़ लगी रहती थी। करोड़ों के आभूषण की सुरक्षा के लिए गोल्डन बाबा अपने साथ निजी सुरक्षागार्डों की फौज रखा करते थे। गोल्‍डन बाबा के खिलाफ कई आपराधिक मामले भी दर्ज थे। गोल्डन बाबा का असली नाम सुधीर कुमार मक्कड़ है। दिल्ली और यूपी के अलावा उत्तराखंड में भी वे मशहूर थे।

राजधानी दिल्ली में लॉटरी लगाना हो या सट्टा खेलना हो, लोग गोल्डेन बाबा के पास पहुंचते थे। बताया जाता है कि दिल्ली के कई चर्चित बदमाशों की ऐसी आस्था थी कि गोल्डन बाबा के आशीर्वाद से उनकी किस्मत खुल जाएगी। गोल्डेन बाबा का पिछले करीब 15 दिनों से दिल्ली स्थित एम्स में इलाज चल रहा था। डॉक्टरों के मुताबिक गोल्डन बाबा बढ़ती उम्र के साथ-साथ कई बीमारियों से भी पीड़ित थे।

सुधीर कुमार मक्कड़ उर्फ गोल्डन बाबा को 1972 से ही सोना पहनना पसंद था। बताया जाता है कि वह सोने को अपना ईष्ट देवता मानते थे। बाबा हमेशा कई किलो सोना पहने रहते हैं। बाबा की दसों उंगलियों में सोने की अंगूठी, बाजुबंद, सोना का लॉकेट है। बाबा की सुरक्षा में हमेशा 25-30 गार्ड तैनात रहते थे।

सुधीर मक्कड़ ऐसे बनें गोल्डेन बाबा

पूर्वी दिल्ली के गांधीनगर इलाके के रहने वाले सुधीर मक्कड़ ही बाद में गोल्डेन बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए थे। सुधीर मक्कड़ अपने युवावस्था में अक्सर सावन में दोस्तों के साथ हरिद्वार जाया करते थे। लाखों-करोड़ों के जेवर पहन और पूरा सज-धज कर जल लाकर शिवलिंग पर चढ़ाने का उनका शौक था।

दिल्ली पुलिस के थानों में बाबा के खिलाफ दर्जनों मामले दर्ज हैं। पुलिस रिकॉर्ड में सुधीर मक्कड़ उर्फ गोल्डन बाबा उर्फ बिट्टू भगत का नाम पूर्वी दिल्ली के हिस्ट्रीशीटर के रूप में दर्ज है। पुलिस रिकॉर्ड में वो बीसी थे, यानी उस इलाके का माहिर बदमाश। उनके खिलाफ दर्जनों अपहरण, फिरौती मांगने, जबरन धन उगाही जैसे आरोपों से जुड़े करीब 35 से ज्यादा मामले दर्ज थे। दिल्ली पुलिस के अधिकारी ये भी बताते हैं कि साल 2007 में सुधीर कुमार मक्कड़ के खिलाफ एक शख्स के अपहरण करने के बाद 25 लाख रुपए की फिरौती भी मांगने का आरोप था। दिल्ली की कई अदालतों में भी गोल्डन बाबा के नाम से मामले चल रहे हैं।

फूलमाला-कपड़ें बेचने से लेकर प्रॉपर्टी के धंधे में उतरे

गांधीनगर इलाके के कई लोगों का कहना है कि गोल्डेन बाबा पहले पेशे से दर्जी थे। गांधीनगर में उनका कपड़े का कोरोबार था। लेकिन यह कारोबार और दर्जी का काम उन्हें रास नहीं आया, तो वे बाद में हरिद्वार चले गए, जहां उन्होंने हर की पौड़ी में फूलमाला और कपड़े बेचना शुरू किया। लेकिन यह काम भी उनको राज नहीं आया। जिसके बाद गोल्डन बाबा प्रॉपर्टी कारोबार में उतर गए। प्रॉपर्टी के कारोबार में काफी पैसा कमाने के बाद उन्होंने साल 2013-14 में यह काम बंद कर दिया। इसके बाद दिल्ली स्थित गांधीनगर की अशोक गली में आश्रम बना लिया। उस वक्त तक वे हरिद्वार में काफी चर्चित हो चुके थे, इसलिए चंदन गिरीजी महाराज को अपना गुरु बनाकर उनके साथ ही रहने लगे थे। साल 2013 में सुधीर मक्कड़ गोल्डन बाबा के नाम से मशहूर हो गए।