देश भक्ति की बात की जाती है, तो मुंह पर क्रांतिकारी भगतसिंह का नाम आता ही हैं। जिनकी रग-रग में देशभक्ति बसी हुई थी। 28 जनवरी 1907 को इन्होनें पंजाब के एक संधू जाट परिवार में जन्म लिया था। अपनी कम उम्र में ही आजादी की लड़ाई के लिए इन्होनें संघर्ष करना शुरू कर दिया था। और 23 वर्ष की छोटी आयु में ही शहीद हो गए थे। आज हम आपको इनके जीवन का वह हिस्सा बताने जा रहे हैं जिसने भगतसिंह को आजादी की लड़ाई के लिए तत्पर किया।
अपने वीर और क्रांतिकारी कृत्यों के लिए मशहूर भगत सिंह का जन्म उस परिवार में हुआ था जो भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष में सक्रिय रूप से शामिल था। उनके पिता सरदार किशन सिंह और चाचा सरदार अजीत सिंह उस समय के लोकप्रिय नेता थे। वे गांधीवादी विचारधारा का समर्थन करने के लिए जाने जाते थे और उन्होंने ब्रिटिशों के विरोध में जनता को प्रेरित करने का कोई अवसर नहीं छोड़ा।
वे विशेष रूप से चरमपंथी नेता बाल गंगाधर तिलक से प्रेरित थे। स्वतंत्रता आंदोलन में पंजाब के उदय के बारे में बात करते हुए एक बार भगत सिंह ने बताया, "1906 में कलकत्ता में कांग्रेस सम्मेलन में उनके पिता और चाचा के उत्साह को देखकर लोकमान्य ने प्रसन्न होते हुए उन्हें अलविदा कहा और उन्हें पंजाब में आंदोलन को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी। लाहौर लौटने पर दोनों भाइयों ने ब्रिटिश राज को उखाड़ फेंकने के लिए अपने विचारों का प्रचार करने के उद्देश्य के साथ भारत माता नाम से एक मासिक अख़बार शुरू किया।
देश के प्रति वफादारी और ब्रिटिशों के चंगुल से मुक्त करने के अभियान में इस प्रकार भगत सिंह का जन्म हुआ था। इस प्रकार देशभक्ति उनके रगों में दौड़ने लगी थी।