वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का 76 साल की उम्र में निधन, 1974 में दी थी ब्लैक होल थ्योरी

ब्रिटेन के भौतिक विज्ञानी स्टीफन हॉकिन्स का 76 साल की उम्र में निधन हो गया। परिवार वालों ने इस बात की पुष्टि की है। प्रोफेसर स्टीफन हॉकिन्स की मौत से उनके परिवार काफी सदमे में हैं। साल 1974 में ब्लैक होल पर उनकी रिसर्च ने साइंस में कई बड़े बदलाव किए हैं। स्टीफन का दिमाग छोड़कर उनके शरीर का कोई भी भाग काम नहीं करता है। स्टीफन का जन्म 8 जनवरी को 1942 को फ्रेंक और इसाबेल हॉकिंग के परिवार में हुआ। परिवार में वित्तीय बाधाओं के बावजूद माता पिता ने ऑक्सफोर्ड से शिक्षा ली। फ्रेंक ने आयुर्विज्ञान की शिक्षा प्राप्त की और इसाबेल ने दर्शनशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र का अध्ययन किया।

स्टीफन अपने स्कूल के दिनों में पढ़ाई में इतने अच्छे नहीं थे। उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि हम सभी यह जानते है कि हम कहां से आए हैं। वह सिर्फ महान वैज्ञानिक ही नहीं थे बल्कि एक महान लेखक भी थे। उनकी प्रसिद्ध पुस्तक ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम ने बिग बैंग सिद्धांत, ब्लैक होल, प्रकाश शंकु और ब्रह्मांड के विकास के बारे में नई खोजों का दावा कर दुनिया भर में तहलका मचाया था। 10 लाख से अधिक प्रतियों में बिक चुकी है। हॉकिंग व्हीलचेयर पर रहते थे। उन्होंने बताया था- ''21 वर्ष की उम्र में डॉक्टरों ने मुझे बता दिया था कि मुझे न्यूरॉन मोर्टार नामक लाइलाज बीमारी है। इस बीमारी में शरीर के सारे अंग धीरे धीरे काम करना बंद कर देते है और अंत में श्वास नली बंद हो जाती है और मरीज की मौत हो जाती है। स्टीफन ने अपनी इच्छा शक्ति न केवल इतनी बड़ी बीमारी को मात दी बल्कि विज्ञान के क्षेत्र में कई चमत्कार भी किए हैं। स्टीफन ने अपनी पढ़ाई पूरी की और अपनी प्रेमिका जेन वाइल्ड से शादी की। स्टीफन का मानना है शारीरिक रूप से विकलांग लोगों के लिए मेरी सलाह है कि आपको आपके शरीर की कमी कुछ भी अच्छा करने से नहीं रोक सकती है और इसका कभी भी अफसोस भी नहीं करना चाहिए। अपने काम करने की स्प‍ि‍रिट में अपंग होना बुरी बात है।

1974 में दी थी ब्लैक होल थ्योरी

1974 में ही हॉकिंग ने दुनिया को अपनी सबसे महत्वपूर्ण खोज ब्लैक होल थ्योरी से दी थी। उन्होंने बताया था कि कैसे ब्लैक होल क्वांटम प्रभावों की वजह गर्मी फैलाते हैं। महज 32 वर्ष की उम्र में वह ब्रिटेन की प्रतिष्ठित रॉयल सोसाइटी के सबसे कम उम्र के सदस्य बने जबकि पांच साल बाद ही वह कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बन गए। उनकी तुलना महान वैज्ञानिक आइंस्टीन से की जाती थी और यह वही पद था जिस पर कभी महान वैज्ञानिक आइनस्टीन भी नियुक्त थे।