29 दिन बाद आज चांद की कक्षा में पहुंचेगा Chandrayaan-2, ISRO वैज्ञानिकों की होगी कड़ी परीक्षा

Chandrayaan-2 आज यानि मंगलवार को चांद की कक्षा में प्रवेश करेगा। सुबह 8:30 से 9:30 के बीच चंद्रयान-2 को कड़ी परीक्षा देनी होगी। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपण के 29 दिन बाद चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में प्रवेश करेगा। इसके लिए इसरो वैज्ञानिकों ने पूरी तैयारी कर ली है। 7 सितंबर को चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा। चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से रॉकेट बाहुबली के जरिए प्र‍क्षेपित किया गया था। इससे पहले 14 अगस्त को चंद्रयान-2 को ट्रांस लूनर ऑर्बिट में डाला गया था। यानी वह लंबी कक्षा जिसमें चलकर चंद्रयान-2 चांद के करीब पहुंच रहा है।

चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति 65000 किमी

इसरो के चेयरमैन डॉ. के. सिवन ने बताया, चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति 65000 किमी तक रहता है। ऐसे में चंद्रयान-2 की गति को कम करना पड़ेगा। नहीं तो, चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव में आकर वह उससे टकरा भी सकता है। गति कम करने के लिए चंद्रयान-2 के ऑनबोर्ड प्रोपल्‍शन सिस्‍टम को थोड़ी देर के लिए चालू किया जाएगा। इस दौरान एक छोटी सी चूक भी यान को अनियंत्रित कर सकती है। यह सिर्फ चंद्रयान-2 के लिए ही नहीं बल्कि वैज्ञानिकों के लिए भी परीक्षा की घड़ी होगी।

31 अगस्त तक चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाता रहेगा

चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में प्रवेश करने के बाद 31 अगस्त तक चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाता रहेगा। इस दौरान एक बार फिर कक्षा में बदलाव किया जाएगा। चंद्रयान-2 को चांद की सबसे करीबी कक्षा तक पहुंचाने के लिए चार बार कक्षा बदली जाएगी, जिसके बाद यह चांद की अंतिम कक्षा में दक्षिणी ध्रुव पर करीब 100 किमी ऊपर से गुजरेगा। इसी दौरान यानी 2 सितंबर को यान का विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा। विक्रम चार दिन तक 30 गुणा 100 किमी के दायरे में चांद का चक्कर लगाएगा। इसके बाद यह चांद के दक्षिणी ध्रुव में सतह पर 7 सितंबर को अपना कदम रखेगा।

चंद्रयान-2 की निगरानी करते रहेंगे ISRO के ये 3 सेंटर्स

बता दे, चंद्रयान-2 की सेहत और उसके मार्ग की निगरानी इसरो के तीन सेंटर्स कर रहे हैं। ये हैं- मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लेक्स (MOX), इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISTRAC) और इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (IDSN)। इसरो वैज्ञानिकों ने बताया है कि चंद्रयान-2 की सेहत अभी ठीक है।

23 दिन लगाए थे पृथ्वी के चक्कर, चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने में लगे 6 दिन

22 जुलाई को लॉन्च हुए इस मिशन ने इससे पहले 23 दिन पृथ्वी के चक्कर लगाए थे। फिर चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने में इसे 6 दिन लगे। चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद यान 13 दिन तक चक्कर लगाएगा। 4 दिन बाद यानी संभवत: 7 सितंबर को वह चांद की सतह पर पहले से निर्धारित जगह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक, चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग इसरो के लिए इस मिशन की सबसे बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि वहां हवा नहीं चलती और गुरुत्वाकर्षण बल भी हर जगह अलग-अलग होता है। चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का प्रभाव 65,000 किलोमीटर तक है। यानी चांद से इस दूरी तक आने वाले किसी भी वस्तु को चांद अपनी ओर खींच सकता है। मंगलवार को यानी 20 अगस्‍त को चंद्रयान-2, चांद से 65,000 किमी की दूरी करीब 150 किलोमीटर दूर होगा तब इसरो चंद्रयान-2 की गति को कम करना शुरू करेगा। इससे वह चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के से संघर्ष करते हुए चांद की कक्षा में प्रवेश करेगा। चंद्रयान-2 लैंडर 'विक्रम' और रोवर 'प्रज्ञान' तो चांद की सतह पर उतरकर प्रयोग करेंगे। लेकिन, ऑर्बिटर सालभर चांद का चक्कर लगाते हुए रिसर्च करेगा।