'नई रामायण!, हनुमान, आपकी जाति कौन-सी?' : शिवसेना

एनडीए के सहयोगी दल शिवसेना ने हनुमानजी की जाति को लेकर उठे विवाद को लेकर अपने मुख्यपत्र 'सामना' के जरिए एक बार फिर केंद्र की बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। सामना में 'नई रामायण!, हनुमान, आपकी जाति कौन-सी?' शीर्षक से छपे संपादकीय लेख में लिखा कि 'भगवान श्रीराम के प्रति निष्ठा और भक्ति, त्याग और समर्पण ही हनुमान की जाति है। हनुमान पर विविध जातियों का लेबल लगाना सही नहीं है, श्रद्धा और निष्ठा का दूसरा नाम हनुमान है। अयोध्या में राम मंदिर बनाना बगल में रह गया, मगर भारतीय जनता पार्टी में राम भक्त हनुमान की जाति को लेकर पंचायत शुरू हो गई है। जहां राम वहां हनुमान, यही सत्य है। श्रद्धा और निष्ठा का दूसरा नाम हनुमान। इसलिए उनकी जाति कौन-सी और धर्म कौन-सा, बेवजह की ये जांच क्यों चाहिए?'

सामना में लिखा है ' हनुमान जी पर विविध जातियों का लेबल लगाकर उत्तर प्रदेश विधानसभा में कोई नया रामायण लिखा जा रहा होगा तो इस नई रामकथा पर लगाम लगाओ। भाजपा के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में कहा है कि, ‘भाजपा के कुछ लोग अति बोलते हैं। उनके मुंह में बांस ही डालना होगा।’ लेख में लिखा है, 'तीन राज्यों की जनता ने बीजेपी को नकार दिया है। यह बांस नहीं है क्या? फिर भी हनुमान की जाति के प्रमाण-पत्र पर शुरू हुई नई रामायण आगे भी इसी तरह चलती रहेगी। रामायण के अन्य सभी पात्र अपनी-अपनी जाति के प्रमाण-पत्र तैयार रखें।'

बता दें कि राजस्थान चुनाव के दौरान अलवर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने हनुमान जी की जाति को लेकर बयान दिया था। उन्होंने हनुमान जी को दलित बताया था। उसके बाद भारतीय जनता पार्टी के विधायक बुक्कल नवाब (Bukkal Nawab) ने बजरंगबली को मुसलमान बता दिया. बुक्कल नवाब का कहना है कि हनुमान जी मुसलमान थे, इसलिए मुसलमानों में जो नाम रखे जाते हैं - रहमान, रमज़ान, फरमान, ज़ीशान, कुर्बान - जितने भी नाम रखे जाते है, वे करीब-करीब उन्हीं पर रखे जाते हैं।' बुक्कल नवाब कहते हैं कि करीब 100 नाम ऐसे हैं, जो हनुमानजी पर ही आधारित हैं। हिंदू भाई हनुमान जी नाम रख लेंगें, लेकिन सुल्तान नहीं मिलेगा, अरमान, रहमान, रमजान नहीं रख सकते।' बुक्कल नवाब के इस बयान के बाद योगी सरकार के मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण का मानना है कि हनुमान जी जाट थे। चौधरी लक्ष्मी नारायण ने कहा कि मेरा मानना है कि हनुमान जी जाट थे, क्योंकि किसी को भी परेशानी या फिर मुश्किल में पड़ा देखकर जाट किसी को जाने बिना भी बचाने के लिए कूद पड़ता है। ऐसे ही हनुमान जी भगवान राम की पत्‍नी सीता माता के अपहरण होने पर दास के रूप में शामिल हुए। यानि हनुमान जी की प्रवृति जाटों से मिलती है। इसलिए मैंने कहा कि हनुमान जी जाट ही होंगे।