Corona Vaccine Tracker: फाइजर के बाद अब सीरम इंस्टीट्यूट ने मांगी कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी, ऐसा करने वाली पहली स्वदेशी कंपनी

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने कोवीशील्ड (Covishield) के इमरजेंसी यूज की अनुमति मांगी है। इसी के साथ सीरम इंस्टीट्यूट देश की पहली स्वदेशी कंपनी बन गई है, जो कोरोना वैक्सीन को मार्केट में लॉन्च करने को तैयार है। SII ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोवीशील्ड तैयार कर रहा है। बता दे, बता दें कि हाल ही में CII के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा था कि कोरोना वैक्सीन 'कोविशील्ड' परीक्षण में 90 फीसदी तक असरदार साबित हुई है। जल्द सभी के लिए उपलब्ध होगी। उन्‍होंने यह भी दावा किया था कि एस्ट्राजेनेका से 10 करोड़ डोज का समझौता किया गया है। जनवरी तक कोविशिल्ड की न्यूनतम 100 मिलियन खुराक उपलब्ध होगी जबकि फरवरी के अंत तक इसकी सैकड़ों मिलियन डोज तैयार की जा सकती है।

इससे पहले फाइजर ने 4 दिसंबर को DGCI के पास आवेदन भेजा था, जिसमें वैक्सीन की भारत में बिक्री और वितरण को लेकर अनुमति मांगी थी। बता दे, फाइजर पहली कंपनी है, जिसने भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से इस बारे में परमीशन मांगी है। UK और बहरीन ने फाइजर की वैक्सीन को इजाजत दे दी है। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि सीरम ने रविवार को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के पास इसके लिए आवेदन किया है। भारत में अब तक 96.73 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं।

बता दे, भारत ने पहले ही साफ कर दिया है कि देश में कोई भी वैक्सीन तभी लाई जाएगी, जब वह यहां क्लिनिकल ट्रायल्स पूरे कर ले। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, फाइजर या उसकी सहयोगी कंपनी ने ऐसे किसी भी ट्रायल से इनकार किया था। हालांकि अफसरों का कहना है कि DCGI चाहे तो लोकल क्लिनिकल ट्रायल में छूट दे सकता है।

क्‍या होता है वैक्‍सीन का इमर्जेंसी अप्रूवल?

इमर्जेंसी यूज अथॅराइजेशन यानी EUA वैक्‍सीन और दवाओं, यहां तक कि डायग्‍नोस्टिक टेस्‍ट्स और मेडिकल डिवाइसेज के लिए भी लिया जाता है। भारत में इसके लिए सेंट्रल ड्रग्‍स स्‍टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) रेगुलेटरी बॉडी है। वैक्‍सीन और दवाओं के लिए ऐसा अप्रूवल उनकी सेफ्टी और असर के आंकलन के बाद दिया जाता है। इसके लिए क्लिनिकल ट्रायल्‍स के डेटा को आधार बनाया जाता है।

आमतौर पर वैक्‍सीन को अप्रूवल होने में कई साल लगते हैं। अबतक का सबसे कम अप्रूवल टाइम साढ़े चार साल था। आपातकालीन स्थितियों में, जैसी अभी है, दुनिया भर के देशों में ऐसी व्‍यवस्‍था है कि दवाओं और टीकों को अंतरिम मंजूरी दी जा सके अगर उनके असर के पर्याप्‍त सबूत हैं तो। फाइनल अप्रूवल पूरे डेटा के एनालिसिस के बाद ही मिलता है।

बता दे, कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में चीन ने 4, रूस ने 2 और UK ने 1 वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल दे दिए हैं। भारत में अभी तक किसी भी कंपनी की वैक्सीन को अप्रूवल न मिला हो, प्री-ऑर्डर में वह सबसे आगे है। एक ग्लोबल एनालिसिस के मुताबिक भारत ने 160 करोड़ डोज सिक्योर कर लिए हैं। एक्सपर्ट कह रहे हैं कि यह 80 करोड़ लोगों को कवर करेंगे यानी हमारे देश की 60% आबादी को। यह हर्ड इम्युनिटी विकसित करने में काफी होगा। हर दो हफ्ते में अपडेट होने वाले लॉन्च एंड स्केल स्पीडोमीटर एनालिसिस के मुताबिक भारत ने 30 नवंबर तक इन तीन वैक्सीन के 160 करोड़ डोज सिक्योर कर लिए हैं। वहीं, उसके बाद यूरोपीय संघ ने 158 करोड़ और अमेरिका ने 100 करोड़ से कुछ ज्यादा डोज सिक्योर किए हैं।

आबादी से पांच गुना तक का दिया वैक्सीन का ऑर्डर

ग्लोबल रिसर्चर्स के एनालिसिस के मुताबिक कई देशों ने अपनी आबादी से ज्यादा वैक्सीन के लिए प्री-ऑर्डर बुक किए हैं। कनाडा ने अपनी आबादी से 527% ज्यादा वैक्सीन बुक किए हैं, वहीं UK ने 288%, ऑस्ट्रेलिया ने 266%, चिली ने 223%, यूरोपीय संघ ने 199%, USA ने 169% और जापान ने 115% वैक्सीन प्री-बुक किए हैं। ऐसा करने की वजह यह है कि यदि कोई वैक्सीन नाकाम रही और अप्रूवल स्टेज तक ही नहीं पहुंच सकी तो भी आबादी वैक्सीन से वंचित न रह जाएं। वहीं, भारत में 60% आबादी तक ही वैक्सीन पहुंचती नजर आ रही है।

बता दे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैक्सीन को लेकर बीते हफ्ते से काफी सक्रिय हैं। 28 नवंबर को मोदी ने अहमदाबाद, पुणे और हैदराबाद की कंपनियों में जाकर वैक्सीन की तैयारियों का जायजा लिया था। 30 नवंबर को उन्होंने कुछ कंपनियों के अधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की। 4 दिसंबर को उन्होंने वैक्सीन पर बात करने के लिए ऑल पार्टी मीटिंग बुलाई थी।