कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा बुधवार को संभल में हिंसा प्रभावित परिवारों से मिलने जा रहे थे, लेकिन उन्हें दिल्ली-उत्तर प्रदेश बॉर्डर पर गाजीपुर में रोक दिया गया। प्रशासन ने अनुमति न होने का हवाला देते हुए काफिले को आगे बढ़ने से रोक दिया। इसके बाद राहुल और प्रियंका का काफिला वापस दिल्ली भेज दिया गया।
संभल जाने का मकसदराहुल और प्रियंका के साथ कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल, केएल शर्मा, तनुज पूनिया, और इमरान मसूद भी शामिल थे। उनका उद्देश्य हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात करना था। संभल में 24 नवंबर को जामा मस्जिद के पास झड़प के दौरान चार लोगों की मौत हो गई थी।
प्रशासन ने क्यों रोका?संभल में 10 दिसंबर तक किसी भी राजनीतिक या सामाजिक प्रतिनिधिमंडल के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया है। स्थानीय प्रशासन ने इस कदम को शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक बताया है।
राहुल गांधी की प्रतिक्रियाराहुल गांधी ने कहा: मैं अकेले संभल जाने को तैयार हूं। मुझे संविधान के तहत वहां जाने का अधिकार है। यह लोकतंत्र की हत्या है।
प्रियंका गांधी ने इसे उनके अधिकारों का हनन बताया। उन्होंने कहा कि यूपी में कानून-व्यवस्था की स्थिति गंभीर है और सरकार लोगों की आवाज दबाने का प्रयास कर रही है।
गाजीपुर बॉर्डर पर कांग्रेस का विरोधकाफिला रोके जाने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गाजीपुर बॉर्डर पर धरना दिया और 'रघुपति राघव' गाने लगे। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने इसे लोकतंत्र का अपमान बताया।
हिंसा का पूरा मामला24 नवंबर को संभल की जामा मस्जिद का ASI सर्वे कराने के दौरान स्थानीय लोगों और पुलिस के बीच झड़प हो गई थी। हिंसा में चार लोगों की मौत हुई थी। हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद श्री हरिहर मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। कोर्ट के आदेश के बाद सर्वे शुरू हुआ, जिससे इलाके में तनाव फैल गया।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियासमाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने संसद में इस मुद्दे को उठाया और इसे संवैधानिक अधिकारों का हनन बताया। उन्होंने प्रशासन पर भेदभाव और हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
संभल में सुरक्षा के कड़े इंतजामसंभल प्रशासन ने जिले में शांति बनाए रखने के लिए धारा 144 लागू की है। किसी भी बड़े राजनीतिक दौरे को रोकने के निर्देश दिए गए हैं।