
मशहूर यूट्यूबर और कॉमेडियन समय रैना की कानूनी मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। 'इंडियाज़ गॉट लैटेंट' विवाद में पहले से जांच का सामना कर रहे रैना पर अब दिव्यांग व्यक्तियों की भावनाओं को आहत करने का आरोप लगा है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक याचिका में दावा किया गया है कि रैना की कुछ वीडियो दिव्यांगों का उपहास उड़ाती हैं। न्यायालय ने इस पर गहरी चिंता जताते हुए वीडियो को “चिंताजनक” बताया।
‘क्योर एसएमए फाउंडेशन’ द्वारा दाखिल आवेदन में आरोप लगाया गया कि रैना ने अपनी दो वीडियो में स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (SMA) से पीड़ित मरीजों के इलाज को लेकर असंवेदनशील टिप्पणियाँ कीं और नेत्रहीन व भेंगापन से ग्रस्त लोगों का भी मज़ाक उड़ाया। फाउंडेशन ने ऑनलाइन कंटेंट के लिए प्रस्तावित नियामकीय ढांचे में दिव्यांगों के लिए विशेष सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।
याचिका में यह भी कहा गया कि एक अन्य वीडियो में क्रिकेटर्स युवराज सिंह, हरभजन सिंह और सुरेश रैना की मौजूदगी वाले क्लिप में भी दिव्यांग व्यक्तियों का मज़ाक बनाया गया। फाउंडेशन ने इसे एक “बड़ी और गंभीर प्रवृत्ति” का हिस्सा बताया, जिसमें दिव्यांगों को या तो दया का पात्र या सार्वजनिक मनोरंजन का माध्यम बना दिया जाता है।
मामले में एक वीडियो विशेष रूप से चर्चा में है, जिसमें एक दो महीने के SMA पीड़ित शिशु का ज़िक्र है, जिसे जीवन रक्षक इंजेक्शन के लिए ₹16 करोड़ की आवश्यकता थी। इस मामले को पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान में लेते हुए ₹6 करोड़ के इम्पोर्ट ड्यूटी को माफ किया था, जिससे इलाज के लिए क्राउडफंडिंग संभव हो पाई थी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति कोठीश्वर सिंह की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, “यह बेहद गंभीर विषय है। इसे देखकर हमें गहरा कष्ट हुआ।” अदालत ने याचिकाकर्ता से सभी संबंधित वीडियो सबूतों को रिकॉर्ड पर लाने और संबंधित व्यक्ति (समय रैना) को मामले में पक्षकार बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू करने को कहा।
यह आवेदन उन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान उठा, जो पॉडकास्टर्स रणवीर अल्लाबादिया और आशीष चंचलानी द्वारा दायर की गई थीं। अदालत ने अल्लाबादिया की पासपोर्ट वापसी की मांग पर भी सुनवाई की, लेकिन उनके वकील से कहा गया कि वे पहले अन्य सह-आरोपियों पर लगे आरोपों को ध्यान से देखें।
महाराष्ट्र सरकार ने अदालत को सूचित किया कि अल्लाबादिया के खिलाफ जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट दाखिल की जा रही है। वहीं, असम में एक अन्य सह-आरोपी को कल जांच एजेंसी के समक्ष पेश होने का नोटिस दिया गया है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सुप्रीम कोर्ट ने यह पुष्टि करने को कहा है कि क्या अल्लाबादिया की अब जांच में और आवश्यकता नहीं है। पासपोर्ट पर निर्णय उसी रिपोर्ट के आधार पर लिया जाएगा।
जैसे-जैसे यह मामला आगे बढ़ रहा है, सोशल मीडिया और ऑनलाइन कंटेंट क्रिएटर्स की जवाबदेही पर अदालत की पैनी निगाह बनी हुई है।