यूपी में BJP को हराने के लिए मायावती-अखिलेश ही काफी, कांग्रेस जैसी 'गैर जरूरी' ताकत की जरूरत नहीं : सपा

लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) से पहले समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) के गठबंधन की अटकलों के बीच रविवार को समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने कहा कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में बसपा के साथ मिल कर आगामी आम चुनाव में भाजपा को हराने में सक्षम है। उन्होंने कहा इसके लिए कांग्रेस जैसी 'गैर जरूरी' ताकत की जरूरत नहीं है। सपा और बसपा मिलकर भाजपा को हराने में सक्षम है।

नंदा ने एक साक्षात्कार में बताया, 'उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अनावश्यक ताकत है इसलिए हम उसे शामिल करने या बाहर रखने के बारे में सोच ही नहीं रहे हैं। राज्य में सपा-बसपा गठबंधन मुख्य ताकत है तो भाजपा का सामना करेंगे। कांग्रेस एक या दो सीट पर हो सकती है। यह फैसला लेना कांग्रेस पर है कि वह अपने आप को कहां देखना चाहती है।'

नंदा के मुताबिक कांग्रेस अभी भी 'गठबंधन राजनीति' के मंत्र के हिसाब से नहीं ढल पाई है क्योंकि 'वह अपने सहयोगियों के लिए उन राज्यों में एक इंच भी छोड़ने के लिए तैयार नहीं जहां वह मजबूत है लेकिन जहां वह कमजोर है वहां दूसरों से अपने लिए बड़ा हिस्सा छोड़ने की उम्मीद करती है।'

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को गठबंधन से बाहर रखना क्या भाजपा के लिए फायदेमंद साबित होगा? इस सवाल पर उन्होंने कहा, 'हमारे पूर्व के अनुभवों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जहां कांग्रेस ने सपा-बसपा गठबंधन के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे भी हैं, वहां हमें भाजपा को हराने में कोई मुश्किल नहीं हुई। कांग्रेस का वोट शेयर पूरी तरह गैर जरूरी है।'

हालांकि, उन्होंने यह संकेत दिया कि सपा-बसपा गठबंधन रायबरेली एवं अमेठी निर्वाचन क्षेत्र को छोड़ सकता है, जिनका लोकसभा में प्रतिनिधित्व संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी करते हैं।

बता दे, नंदा की यह टिप्पणी लोकसभा चुनावों से पहले सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला लेने के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी (सपा) नेता अखिलेश यादव के बीच बातचीत तेज होने संबंधी खबरों के आई है। दरहसल, दोनों नेताओं ने शुक्रवार को नई दिल्ली में मुलाकात की थी।

विपक्षी गठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के बारे में पूछे जाने पर नंदा ने कहा कि इस बारे में फैसला चुनाव के बाद आम सहमति से किया जाएगा।