यूक्रेन में भारत का 'मिशन एयरलिफ्ट', 16000 भारतीयों को निकालने की तैयारी; परिजनों को याद आई सुषमा स्वराज

यूक्रेन पर रूस के हमले का आज दूसरा दिन है। यूक्रेन की राजधानी कीव में शुक्रवार सुबह कई धमाके सुने गए। यूक्रेन ने दावा किया है कि उनकी फोर्सेस ने 800 से ज्यादा रूसी सैनिकों को मार गिराया है। 30 रूसी टैंक और 7 जासूसी एयरक्राफ्ट को भी तबाह कर दिया है। यूक्रेन में रूस के हमले के बाद वहां हजारों भारतीय फंसे हैं। ऐसे में भारत ने गुरुवार को यूक्रेन से अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए एक बड़ी कूटनीतिक पहल की। यूक्रेन में रूस के हमलों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बात की। इस दौरान पीएम मोदी ने यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर भारत की चिंताओं के बारे में रूसी राष्ट्रपति पुतिन को अवगत कराया। साथ ही पीएम ने कहा, भारत अपने नागरिकों के सुरक्षित निकास और भारत लौटने को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।

इससे पहले पीएम मोदी ने यूक्रेन में फंसे करीब 16000 भारतीयों की सुरक्षा को लेकर सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी (सीसीएस) की बैठक बुलाई। इस बैठक में नागरिकों को सुरक्षित निकालने और यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा हुई। दरअसल, रूस के हमलों के बाद यूक्रेन ने अपनी हवाई सीमाओं को बंद कर दिया है। ऐसे में भारत हंगरी, पोलैंड, स्लोवाकिया और रोमानिया के जरिए सड़क रास्तों से भारतीयों को निकालने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

मीडिया से बातचीत करते हुए विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सीसीएस बैठक में बताया कि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता छात्रों समेत भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और यूक्रेन से उन्हें निकालना है। उन्होंने कहा, मैं यूक्रेन के छात्रों और उनके परिवार के सदस्यों समेत सभी भारतीय नागरिकों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम आपको सुरक्षित वापस लाने के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।

हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया कि यूक्रेन में 20,000 भारतीय नागरिक फंसे थे। इनमें से करीब 4000 लोग पिछले दिनों भारत वापस लौट चुके हैं। श्रृंगला ने कहा कि सरकार ने यूक्रेन के पड़ोसी देशों जैसे पोलैंड, स्लोवाकिया, रोमानिया और हंगरी में भारतीय राजदूतों से कहा है कि वे अपने मिशन से यूक्रेन के बॉर्डर क्षेत्रों में टीमों को भेजें ताकि भारतीयों को बाहर निकाला जा सके और उन्हें भारत लाया जा सके। पोलैंड में भारतीय दूतावास ने कहा कि पोलिश-यूक्रेनी सीमा पर क्राकोविएक में एक कैंप बनाया जा रहा है। ताकि पोलैंड की मदद से भारतीयों को यूक्रेन से बाहर निकालने में मदद मिल सके। इसी तरह से लविव में भी एक ऑफिस बनाया जा रहा है।

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर पोलैंड, स्लोवाकिया, रोमानिया और हंगरी में अपने समकक्षों में बात कर रहे हैं, ताकि यूक्रेन संकट के बीच फंसे भारतीय नागरिकों को वहां से बाहर निकाला जा सके। इतना ही नहीं जयशंकर यूक्रेन के विदेश मंत्री से भी बात कर सकते हैं। इतना ही नहीं विदेश मंत्रालय रक्षा मंत्रालय के साथ भी संपर्क में है, ताकि जरूरत पड़ने पर भारतीयों को एयरलिफ्ट किया जा सके।

यूक्रेन में फंसे भारतीयों को याद आईं सुषमा स्वराज

उधर, छात्रों के परिजन आरोप लगा रहे हैं कि उनको वक्त रहने स्वदेश लाने का वैसा प्रयास नहीं किया गया जैसा पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के समय में होता था। यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र और यहां उनके परिजनों को ऐसे समय में सुषमा स्वराज और उनके काम करने का अलहदा तरीका याद आ रहा है। तब एक ट्वीट पर भारत का जहाज विदेशों में फंसे भारतीयों को लाने पहुंच जाता था। विदेश मंत्री रहते हुए सुषमा स्वराज ने विदेश मंत्रालय का अर्थ बदल दिया था। वह 2014 से 2019 तक विदेश मंत्री रहीं। हाई प्रोफाइल और बड़े लोगों का मंत्रालय माना जाने वाले विदेश मंत्रालय को तब आम भारतीयों का मंत्रालय कहा जाने लगा था। जिसका मुख्य मकसद विदेशों में मुश्किलों का सामना कर रहे आम भारतीयों की मदद करना बन गया था। अपने पांच वर्षों के कार्यकाल में सुषमा स्वराज ने 186 देशों में 90000 से अधिक भारतीयों तक मदद पहुंचाई थी।