राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बाद अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी सहित विपक्ष के कई नेताओं को दिल्ली में आयोजित होने वाले अपने एक कार्यक्रम 'भविष्य का भारत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' में हिस्सा लेने के लिये आमंत्रित करेगा। सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक आरएसएस अभी इस फैसले पर विचार कर रहा है। इस कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत 'प्रबुद्ध लोगों' से संवाद करेंगे।
सूत्रों का कहना है कि आरएसएस का यह कार्यक्रम 17 से 19 सितंबर तक आयोजित होना है। बता दें कि राहुल ने हाल ही में संघ की तुलना अरब देशों के मुस्लिम ब्रदरहुड से की थी। उन्होंने कहा था कि भारत में ऐसा पहली बार हो रहा है जब संस्थाओं पर कब्जा करने की कोशिश की जा रही है। इतना ही नहीं, जर्मनी के बाद ब्रिटेन के दौरे पर पहुंचे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को यहां के प्रसिद्ध लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स (LSE) में भारतीय समुदाय के छात्रों से बातचीत करते हुए 2019 के चुनाव को बीजेपी-आरएसएस बनाम पूरे विपक्ष की लड़ाई बताया था। ऐसे में अब सभी की नजरें राहुल गांधी को आरएसएस के निमंत्रण पर टिकी हुई हैं।
आरएसएस नेता अरुण कुमार ने इस कार्यक्रम पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि देश में बड़ा वर्ग संघ से जुड़ना चाहता है। संघ का दृष्टिकोण जानना चाहता है। 'भविष्य के भारत की परिकल्पना और संघ की सोच' विषय पर मोहन भागवत संवाद करेंगे। अरुण कुमार ने राहुल गांधी के आरएसएस की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड से करने की बात पर कहा कि सारी दुनिया मुस्लिम आतंकवाद, मुस्लिम ब्रदरहुड से कितना पीड़ित है, अगर ये समझते तो ऐसा नहीं कहते। वैसे भी वो(राहुल) कहते है कि अभी पूरे भारत की उन्हें समझ नहीं है जब भारत को नहीं समझा है तो संघ को नहीं समझ पाएंगे। अरुण कुमार ने कहा कि इस बैठक में समाज के हर क्षेत्र के लोगो को बुलाया जाएगा। राजनीतिक पार्टियों के लोगो को भी बुलाया जाएगा। हम सभी राजनीतिक पार्टियों को इस कॉन्क्लेव में बुलाएंगे।
अपने विदेश दौरे में राहुल गांधी की ओर से संघ और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है। ऐसे में यह दिलचस्प है कि आरएसएस की ओर से राहुल गांधी को कार्यक्रम में हिस्सा लेने का न्यौता भेजने का फैसला किया गया है।
प्रणब मुखर्जी पर कांग्रेस नेताओं ने किया था हमलाकांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने प्रणब मुखर्जी के बारे में अपने ऑफिशल ट्विटर अकाउंट से लिखा, 'क्या मैं आपसे वह सवाल पूछा सकता हूं जिसके बारे में सोच-सोचकर देश का धर्मनिरपेक्ष और बहुलवादियों का एक बड़ा तबका परेशान है, जिसका आपने अबतक कोई जवाब नहीं दिया है। आपने राष्ट्रवाद पर भाषण देने के लिए संघ के हेडक्वॉर्टर को ही क्यों चुना। आपने लोगों की उस जानकारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं जो 80 और 90 के दशक में दी गई थी। 1975 और 1992 में जब सरकार ने संघ पर बैन लगाया तो आप उस सरकार का ही हिस्सा थे। क्या आपको यह नहीं लगता कि आप हमें बताएं कि संघ में उस वक्त ऐसी कौन की बुराई थी जो अब अच्छाई में बदल गईं। क्या हमें जो उस वक्त बताया गया था वह गलत था?'
प्रणब मुखर्जी और रतन टाटा भी हो चुके हैं शामिलगौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और उद्योगपति रतन टाटा भी पहले आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं। मुखर्जी जून 2018 में नागपुर में आयोजित आरएसएस के कार्यक्रम का हिस्सा बने थे जबकि टाटा 24 अगस्त को मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल हुए। हालांकि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी के जाने की खबरों के बाद कांग्रेस नेताओं ने जमकर उन पर हमला किया था।