नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) के चुनाव में कांटे की टक्कर में भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने दो-दो सीटें जीतीं। मूल रूप से 28 सितंबर को घोषित होने वाले नतीजों को अभियान के दौरान होने वाली विकृतियों की चिंताओं को दूर करने के लिए टाल दिया गया था।
एनएसयूआई ने अध्यक्ष और संयुक्त सचिव पद पर कब्जा जमाया, जबकि एबीवीपी ने उपाध्यक्ष और सचिव पद पर जीत हासिल की।
एनएसयूआई के रौनक खत्री अध्यक्ष पद पर विजयी हुए, जबकि लोकेश चौधरी संयुक्त सचिव पद पर विजयी हुए। वहीं एबीवीपी के भानु प्रताप सिंह उपाध्यक्ष पद पर विजयी हुए, जबकि मित्रविंदा कर्णवाल सचिव पद पर विजयी रहीं।
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) के चुनावों में कांग्रेस समर्थित NSUI ने जोरदार वापसी करते हुए सात साल का सूखा खत्म किया। वर्तमान में, DUSU में ABVP का बहुमत है, लेकिन इस साल के नतीजों ने सत्ता के समीकरण को थोड़ा बदल दिया है।
एनएसयूआई सदस्यों द्वारा जोशपूर्ण नारों और जयकारों के साथ मनाई गई जीत ने आरएसएस से जुड़े एबीवीपी के वर्षों के वर्चस्व के बाद छात्र निकाय में पार्टी के प्रभाव को फिर से जगाया।
इस साल के चुनावों में कड़ी टक्कर थी, जिसमें 21 उम्मीदवार चार प्रमुख पदों के लिए लड़ रहे थे। चुनावों ने वैचारिक विभाजन को उजागर किया, जिसमें एबीवीपी, एनएसयूआई और आइसा और एसएफआई के वामपंथी गठबंधन ने एक दूसरे के खिलाफ़ एक उच्च-दांव की दौड़ में भाग लिया।
लंबे समय से विलंबित डूसू चुनाव परिणाम आखिरकार घोषितचुनाव संबंधी शिकायतों पर दिल्ली उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश के बाद चुनाव परिणाम मतदान की तिथि से लगभग दो महीने बाद आए। कड़ी सुरक्षा के बीच दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर में मतगणना सुबह शुरू हुई।
दिल्ली पुलिस ने मतगणना केंद्र पर तीन-स्तरीय बैरिकेडिंग की, ताकि व्यवस्था बनी रहे। परिणाम के बाद परिसर में जश्न मनाने से रोकने के लिए भी सख्त नियम लागू किए गए।
डूसू चुनाव के दावेदार: एक गरमागरम मुकाबलाचुनावों में एबीवीपी, एनएसयूआई और वामपंथी गठबंधन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के बीच कड़ा मुकाबला हुआ।
अध्यक्ष पद की सीट पर रौनक खत्री (एनएसयूआई) (20207 वोट) का मुकाबला एबीवीपी के ऋषभ चौधरी (18868 वोट) और आइसा के सावी गुप्ता से था।
उपाध्यक्ष पद पर भानु प्रताप सिंह (एबीवीपी) (24166 वोट) ने एनएसयूआई के यश नांदल (15404 वोट) और आइसा के आयुष मंडल को हराया।
सचिव पद पर मित्रविंदा करनवाल (एबीवीपी) (16703 वोट) ने एनएसयूआई की नम्रता जेफ मीना (15236 वोट) और एसएफआई की अनामिका के.
लोकेश चौधरी (एनएसयूआई) 21975 वोट) ने एबीवीपी के अमन कपासिया (15249 वोट) और एसएफआई की स्नेहा अग्रवाल से आगे संयुक्त सचिव पद हासिल किया।
उच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद परिसर में सड़कों पर प्रचार पोस्टर और पर्चे बिखरे पड़े थे।
डूसू चुनाव के सभी उम्मीदवारों के लिए वोटों की गिनती डूसू चुनाव 2024-25 के लिए नियुक्त मुख्य चुनाव अधिकारी प्रोफेसर सत्यपाल सिंह ने बताया कि इस बार अध्यक्ष पद के लिए 8, उपाध्यक्ष पद के लिए 5, सचिव पद के लिए 4 और संयुक्त सचिव पद के लिए 4 उम्मीदवार मैदान में हैं।
उन्होंने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि अध्यक्ष पद के लिए प्राप्त कुल 50689 मतों में से अनिकेत मांडके को कुल 2028, बदी यू जमां को 844, पिंकी को 854, ऋषभ चौधरी को 18868, रौनक खत्री को 20207, सवि गुप्ता को 2695, शीतल को 407 तथा शिवम मौर्य को 880 मत प्राप्त हुए। उन्होंने बताया कि अध्यक्ष पद के लिए 3906 विद्यार्थियों ने नोटा का विकल्प चुना।
उपाध्यक्ष पद के लिए प्राप्त कुल 50918 मतों का विस्तृत ब्यौरा देते हुए उन्होंने बताया कि आयुष मंडल को कुल 3650 मत, बनश्री दास को 2339 मत, भानु प्रताप सिंह को 24166 मत, रोबिन सिंह को 948 मत, यश नांदल को 15404 मत तथा नोटा को 4411 मत प्राप्त हुए। प्रोफेसर सत्यपाल सिंह ने बताया कि सचिव पद के लिए कुल 50874 वोट प्राप्त हुए, जिनमें से आदित्यन एमए को 3358 वोट, मित्रविंदा कर्णवाल को 16703 वोट, नम्रता जेफ को 15236 वोट तथा स्नेहा अग्रवाल को कुल 8806 वोट मिले तथा 6771 विद्यार्थियों ने नोटा को वोट दिया। उन्होंने बताया कि संयुक्त सचिव पद के लिए कुल 50977 मत प्राप्त हुए, जिनमें से अमन कपासिया को 15249 मत, अनामिका के को 5676 मत, अंजना सुकुमारन को 2417 मत, लोकेश चौधरी को 21975 मत तथा नोटा को 5660 मत प्राप्त हुए।