सिर्फ खाना और आबादी बढ़ाना, ये काम तो जानवर भी करते हैं : मोहन भागवत

सिर्फ खाना और आबादी बढ़ाना, ये काम तो जानवर भी कर सकते हैं। शक्तिशाली ही जिंदा रहेगा, ये जंगल का नियम है। वहीं शक्तिशाली जब दूसरों की रक्षा करने लगे, ये मनुष्य की निशानी है। श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी फॉर ह्यूमन एक्सीलेंस के पहले दीक्षांत समारोह में शामिल हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने यह बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ जिंदा रहना ही जिंदगी का उदेश्य नहीं होना चाहिए। मनुष्य के कई कर्तव्य होते हैं, जिनका निर्वाहन उन्हें समय-समय पर करते रहना चाहिए। उन्होंने अपने संबोधन में सीधे-सीधे तो बढ़ती जनसंख्या पर कुछ नहीं बोला लेकिन जानवर और इंसान का फर्क बताते हुए बड़ा संदेश दिया।

दरअसल, इस समय देश में जनसंख्या को लेकर बहस चल रही है। कुछ दिन पहले ही यूएन रिपोर्ट में कहा गया है कि जल्द ही भारत, चीन को पछाड़ देगा। अब उस बीच मोहन भागवत का ये बयान मायने रखता है।

संघ प्रमुख ने भारत के विकास को लेकर भी बात की। उन्होंने कहा कि इतिहास की बातों से सीखते हुए और भविष्य के विचारों को समझते हुए भारत ने पिछले कुछ सालों में अपना ठीक विकास किया है। अगर कोई 10-12 साल पहले ऐसा कहता, तो कोई इसे गंभीरता से नहीं लेता।

संघ प्रमुख ने इस बात पर भी जोर दिया जो विकास अभी देखने को मिल रहा है, उसकी नींव 1857 में पड़ गई थी और बाद में विवेकानंद ने अपने सिद्धांतों से उसे आगे बढ़ाया था। लेकिन इस सब के बीच भागवत मानते हैं कि विज्ञान और बाहरी दुनिया के अध्ययन में संतुलन का अभाव साफ दिख जाता है। वे कहते हैं कि अगर आपकी भाषा अलग है तो विवाद है। अगर आपका धर्म अलग है तो विवाद है। आपका देश दूसरा है तो भी विवाद है। पर्यावरण और विकास के बीच तो हमेशा से ही विवाद रहा है। ऐसे में पिछले एक हजार सालों में कुछ इसी तरह से ये दुनिया विकसित हुई है।