आखिर क्यों कम करी 2000 रुपये के नोट की छपाई, सरकार ने बताई यह वजह

दो साल पहले नोटबंदी के बाद जारी किया गया 2,000 रुपये के नोट को लेकर केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले के अनुसार 2000 रुपये करेंसी नोट की छपाई 'न्यूनतम स्तर पर' पहुंच गई है। वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। इस जानकारी के बात यह कयास लगाए जा रहे थे कि शायद सरकार जल्द 2000 के नोट को बंद करने जा रही है लेकिन अब खबर आ रही है कि 2000 रुपये के नोट पर आर्थिक मामलों के सचिव ने कहा है कि यह मात्रा पर्याप्त से अधिक है। हाल में 2000 रुपये के नोटों की छपाई को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है।

आर्थिक मामलों के सचिव ने अपने बयान में कहा है कि अनुमानित जरूरतों के मुताबिक नोटों की छपाई की योजना बनती है। सिस्टम में कुल सर्कुलेशन के 35% 2000 रुपये के नोट हैं। यह मात्रा पर्याप्त से अधिक है। हाल में 2000 रुपये के नोटों की छपाई को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है।

क्या है मामला- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिजर्व बैंक और सरकार समय समय पर करेंसी की छपाई की मात्रा पर फैसला करते हैं। इसका फैसला चलन में मुद्रा की मौजूदगी के हिसाब से किया जाता है। जिस समय 2,000 का नोट जारी किया गया था तभी यह फैसला किया गया था कि धीरे-धीरे इसकी छपाई को कम किया जाएगा। 2,000 के नोट को जारी करने का एकमात्र मकसद प्रणाली में त्वरित नकदी उपलब्ध कराना था। अधिकारी ने बताया कि 2,000 के नोटों की छपाई काफी कम कर दी गई है। 2000 के नोटों की छपाई को न्यूनतम स्तर पर लाने का फैसला किया गया है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों में मार्च, 2017 के अंत तक 328.5 करोड़ इकाई 2000 के नोट चलन में थे। 31 मार्च, 2018 के अंत तक इन नोटों की संख्या मामूली बढ़कर 336.3 करोड़ इकाई पर पहुंच गई। मार्च 2018 के अंत तक कुल 18,037 अरब रुपये की करेंसी चलन में थी। इनमें 2000 के नोटों का हिस्सा घटकर 37.3 प्रतिशत रह गया।

मार्च, 2017 के अंत तक कुल करेंसी में 2000 के नोटों का हिस्सा 50.2 प्रतिशत पर था। इससे पहले नवंबर 2016 में 500, 1000 रुपये के जिन नोटों को बंद किया गया उनका कुल मुद्रा चलन में 86 प्रतिशत तक हिस्सा था।