भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य (Viral Acharya) ने अपना कार्यकाल समाप्त होने से 6 महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया है। फिलहाल इस्तीफे के कारणों का पता नहीं चल सका है। आचार्य ने रिजर्व बैंक में डिप्टी गवर्नर के रूप में 23 जनवरी 2017 को ज्वाइन किया था और वह लगभग 30 महीने तक इस पद पर बने रहे। पिछले सात महीने में यह दूसरी बार है जब आरबीआई के किसी शीर्ष अधिकारी ने अपने पद से इस्तीफा दिया हो। इससे पहले आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने दिसंबर 2018 में निजी कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था। पटेल ने इस्तीफा ऐसे समय दिया था जब सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच अर्थव्यवस्था में नकदी (लिक्विडिटी) और ऋण (क्रेडिट) की कमी को लेकर खींचातान चल रही थी।
कार्यकाल के 6 महीने पहले इस्तीफाअहम बात यह है कि डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कार्यकाल पूरा होने के करीब छह महीने पहले ही अपने पद को छोड़ दिया है। विरल आचार्य आरबीआई के उन बड़े अधिकारियों में शामिल थे जिन्हें उर्जित पटेल की टीम का हिस्सा माना जाता था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विरल आचार्य अब न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के सेटर्न स्कूल ऑफ बिजनेस में बतौर प्रोफेसर ज्वाइन करेंगे।
कौन हैं विरल आचार्य1995 में भारतीय तकनीकी संस्थान, मुंबई (IIT) से बी टेक करने के बाद विरल आचार्य ने 2001 में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से वित्त में पीएचडी की। विरल लंदन बिज़नेस स्कूल (एलबीएस) में भी अर्थशास्त्र का अध्यापन कर चुके हैं। विरल आचार्य न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय के स्टर्न स्कूल में वित्त विभाग में 2008 से अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं और 2017 में अवकाश लेकर उन्होंने रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर का पदभार संभाला था। कहा जा रहा है कि विरल एक बार फिर अपने अध्यापन के क्षेत्र में वापसी करते हुए न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के लिए जाएंगे।
नए गवर्नर के फैसलों से सहमत नहीं!बीते कुछ महीनों से डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य आरबीआई के नए गवर्नर शक्तिकांत दास के फैसलों से अलग विचार रख रहे थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछली दो मॉनीटरिंग पॉलिसी की बैठक में महंगाई दर और ग्रोथ रेट के मुद्दों पर विरल आचार्य के विचार अलग थे। रिपोर्ट की मानें तो हाल ही की मॉनीटरिंग पॉलिसी बैठक के दौरान राजकोषीय घाटे को लेकर भी विरल आचार्य ने गवर्नर शक्तिकांत दास के विचारों पर सहमति नहीं जताई थी।
शशिकांत दास ने ली थी उर्जित पटेल की जगहदिसंबर 2018 में रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने भी अचानक इस्तीफा दे दिया था। उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद केन्द्र सरकार ने वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में पूर्व सचिव और भारतीय प्राशसनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी शक्तिकांत दास को आरबीआई का गवर्नर नियुक्त किया। दास 1980 बैच के तमिलनाडु काडर के आईएएस अधिकारी हैं। वर्तमान आरबीआई गवर्नर दास वित्त आयोग के सदस्य भी रह चुके हैं और उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम तथा प्रणब मुखर्जी दोनों के साथ काम किया है।
सरकार के पहले कार्यकाल में तीसरा बड़ा इस्तीफामोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भारतीय इकोनॉमी के लिहाज से उर्जित पटेल का तीसरा बड़ा इस्तीफा था। इससे पहले अरविंद सुब्रमण्यम ने जुलाई 2018 में व्यक्तिगत कारणों से मुख्य आर्थिक सलाहकार पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं अगस्त 2017 में नीति आयोग के उपाध्यक्ष रहे अरविंद पनगढ़िया ने पद छोड़ दिया।