मिर्चपुर कांड से लेकर महिला अपराध तक! कांग्रेस और चौटाला के शासन काल हरियाणा में दबंगराज का युग

हरियाणा में इस साल के विधानसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है। राज्य की 90 सीटों पर एक ही चरण में 1 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। हरियाणा में चुनाव व सियासत की बात हो और कांग्रेस और चौटाला परिवार का जिक्र न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता।

करीब 4 दशकों तक चौटाला परिवार ने हरियाणा की राजनीति को तय किया है। इनकी तीसरी और चौथी पीढ़ी भी राजनीतिक मैदान में है। इस बार के चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती चौटाला परिवार के सामने है, जो अपना सियासी वजूद को बचाने में जुटा है।

लेकिन, अगर इतिहास के पन्नों को पलटें तो, राज्य में कांग्रेस और ओम प्रकाश चौटाला के शासन काल को अक्सर आतंक का युग के रूप में याद किया जाता है। जिसमें अपराध में उल्लेखनीय वृद्धि, व्यापक भ्रष्टाचार और भय और अराजकता (गुंडाराज) का शासन था। खासकर दलितों और वंचित समुदायों के प्रति हो रही क्रूरता के संदर्भ में।

कांग्रेस शासन के दौरान, खासकर 1980 और 1990 के दशकों में, हरियाणा में कई घटनाएं हुईं, जिन्हें दलितों के खिलाफ हिंसा के रूप में देखा गया। मिर्चपुर और गोहाना में हुई दुखद घटनाएं, जहां दलितों पर क्रूरतापूर्वक हमला किया गया, हिंसा और भेदभाव की याद दिलाती हैं। आइए थोड़ा विस्तार से बात करें....

मिर्चपुर कांड (2010): हिसार जिले के मिर्चपुर गांव में 2010 में दलित परिवारों पर हमला किया गया। इस हमले में एक 70 वर्षीय व्यक्ति और उसकी विकलांग बेटी की मौत हो गई। इस घटना ने राज्य और देशभर में जातिगत तनाव को बढ़ाया।

गांवों में जातिगत हिंसा: कांग्रेस के शासनकाल में दलितों के खिलाफ हिंसा की कई घटनाएं रिपोर्ट की गईं, जहां उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से दबाने की कोशिश की गई। इन घटनाओं के कारण कांग्रेस की सरकार की आलोचना हुई और दलितों के प्रति संवेदनहीनता के आरोप लगाए गए।

कांग्रेस शासनकाल में महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध

मनोहर सिंह हत्या और रेप केस (2012): कैथल जिले में एक दलित लड़की के साथ बलात्कार और हत्या की घटना हुई, जिसने राज्यभर में आक्रोश पैदा किया। यह घटना कांग्रेस शासनकाल के दौरान हुई थी। लड़की की हत्या कर दी गई थी। घटना ने हरियाणा में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों की ओर ध्यान खींचा।

गैंगरेप की घटनाएं (2005-2014): भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के दौरान हरियाणा में कई गैंगरेप की घटनाएं हुईं। इन मामलों में जघन्य अपराधों की एक बडी संख्या आई, जिनमें से कुछ ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरीं। इनमें हिसार, गुड़गांव, और रोहतक जैसे जिलों में हुई घटनाएं प्रमुख थीं।

हुड्डा के शासन के दौरान 1 महीने में 19 रेप

2013 की संसदीय समिति ने भूपिंदर सिंह हुड्डा के शासनकाल में अनुसूचित जातियों (एससी) की स्थिति को 'खतरनाक' बताया, जिसमें एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत पूरी जांच या दोषसिद्धि की अनुपस्थिति पर प्रकाश डाला गया। पुलिस ने एक खास समुदाय के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने के कारण उन्हें कानून अपने हाथ में लेने का मौका दिया, जिससे राज्य की कानून व्यवस्था और कमजोर हुई।

हुड्डा के शासन के दौरान महिलाओं, खासकर अनुसूचित जाति समुदाय की महिलाओं के खिलाफ अपराध में बहुत तेजी से वृद्धि हुई। अकेले एक महीने में ही 19 बलात्कार की घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें से ज्यादातर अनुसूचित जाति की महिलाएं थीं। इन अपराधों के प्रति कांग्रेस का रवैया चौंकाने वाला और नकारात्मक रहा।

महिला अपराधों पर आंखें मूंदे कांग्रेस!

कांग्रेस के हिसार जिले के प्रवक्ता धर्मबीर गोयत का बयान कि बलात्कार के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार नहीं है। वास्तव में, ज्यादातर मामलों में सहमति से यौन संबंध होते हैं। महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के प्रति पार्टी की उपेक्षा का प्रमाण है। इस तरह के बयान पार्टी के भीतर महिलाओं के प्रति गहरी असम्मान की भावना को दर्शाते हैं। बंद दरवाजों के पीछे कथित दुर्व्यवहार के कारण महिला नेताओं द्वारा कांग्रेस से इस्तीफा देने की बढ़ती प्रवृत्ति से यह असम्मान और भी स्पष्ट हो जाता है।

किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी का हरियाणा कांग्रेस से इस्तीफा इस बात को रेखांकित करता है कि पार्टी महिलाओं का सम्मान करने में विफल रही है। यहां तक कि हरियाणा की पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल जैसे प्रमुख नेताओं ने भी पार्टी की विभाजनकारी नीतियों और महिलाओं के अधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता की कमी से निराश होकर पार्टी छोड़ दी। कांग्रेस और चौटाला के शासन के दौरान, हरियाणा अपराध, भ्रष्टाचार और न्याय की कमी से त्रस्त था। राज्य के सबसे कमजोर समुदायों ने सबसे अधिक उत्पीड़न झेला, क्योंकि सरकार उनकी रक्षा करने में विफल रही।

क्या कहते हैं NCRB के अपराधिक आंकड़ें?

हरियाणा में कांग्रेस शासन के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराधों की दर को लेकर आलोचना की गई। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2005 से 2014 के बीच महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि हुई। प्रमुख दंगों में मारे गए लोगों की संख्या सीमित थी, लेकिन सामाजिक और जातिगत तनाव को भड़काने में इन घटनाओं का बड़ा योगदान रहा। महिलाओं के अपराध: महिलाओं के खिलाफ अपराध, खासकर बलात्कार और हत्या, कांग्रेस शासन के दौरान बढ़े हुए दिखे।

हरियाणा में महिलाओं के खिलाफ अपराध (2010-2014):

बलात्कार के मामले: 2010 से 2014 के बीच बलात्कार के मामलों में लगातार वृद्धि हुई। 2010 में 733 मामले थे, जो 2014 में बढ़कर 1,187 हो गए।

दहेज हत्या: दहेज हत्या के मामले भी इस अवधि के दौरान महत्वपूर्ण संख्या में बने रहे। 2010 में 259 मामले थे, जो 2014 में घटकर 245 हो गए।

घरेलू हिंसा: घरेलू हिंसा के मामले, जो आईपीसी धारा 498A के तहत दर्ज किए जाते हैं, भी इस अवधि में बढ़े हैं। 2010 में 1,168 मामले थे, जो 2014 में बढ़कर 2,274 हो गए।

कब-कब रही कांग्रेस की सरकार?

पंडित भगवत दयाल शर्मा (1966-1967)
बंसी लाल (1968-1972, 1972-1975)
बनारसी दास गुप्ता(1975-1977)
भजनलाल (1979-1986)
बंसी लाल (1986-1987)
भजन लाल (1991-1996)
भूपिंदर सिंह हुड्डा (2005-2009, 2009-2014)

हरियाणा में चौटाला परिवार का शासन?

1- 'ताऊ' के नाम मशहूर चौधरी देवी लाल

जनता पार्टी के टिकट पर एक बार सीएम (21 जून 1977 से 28 जून 1979) चुने गए।
लोकदल के टिकट पर एक बार सीएम (17 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 1989)

2- बेटा 4 बार का सीएम

देवीलाल के पुत्र ओम प्रकाश चौटाला जनता पार्टी से तीन बार (1989-1990,1990-1991, 1991) सीएम चुने गए।
वहीं, एक बार वहीं, इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के टिकट पर (24 जुलाई 1999 - 4 मार्च 2005) प्रदेश के सीएम रहे।
दोनों की सरकारों को कभी-कभी विवादास्पद माना गया, खासकर कानून-व्यवस्था के संदर्भ में।