हिंदी दिवस 2018 : क्यों नहीं दी जा रही हिंदी को प्राथमिकता, जानें इसके पीछे की वजह

हिंदी दिवस हर साल की 14 सितंबर को मनाया जाता हैं, क्योंकि इसी दिन साल 1949 में हिंदी को संविधान में देश की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्थान मिला था। आज के समय में हिंदी दिवस मनाना बहुत जरूरी हो गया है क्योंकि हिंदी दिवस हिंदी भाषा के साथ-साथ भारतीय संस्कृति को सम्मान भी दिलाता हैं। और आज के समय में भारतीय युवा पश्चिमी रीति-रिवाजों से प्रभावित होकर उनकी और अग्रसर होने लगे हैं। इस कारण से हिंदी दिवस की महत्ता ओर बढ़ जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिंदी दुनिया की चौथी व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा है फिर भी आज के समय में हिंदी को इतनी प्राथमिकता क्यों नहीं मिल पा रही हैं, तो आइये हम बताते हैं आपको।

दुर्भाग्य से भले ही हिंदी दुनिया की चौथी व्यापक बोली जाने वाली भाषा है परन्तु इसके मूल देश में लोग इसको महत्व नहीं देते हैं। स्कूल से लेकर कॉलेज, कॉर्पोरेट, कार्यालयों तक अंग्रेजी को अधिक प्राथमिकता दी जाती है और हिंदी अंग्रेजी से पिछड़ जाती है। माता-पिता, शिक्षकों और हर किसी को लिखित और मौखिक रूप से अंग्रेजी सीखने के महत्व पर जोर देना आम बात है क्योंकि इससे नौकरी हासिल करने में काफी मदद मिलती है।

यह देखना दुखदाई है कि नौकरियों और शैक्षिक पाठ्यक्रमों के लिए भी लोगों को स्मार्ट होना पड़ता है क्योंकि नौकरी पर रखने वाले अधिकारी उन्हें उनके अंग्रेजी से संबंधित ज्ञान के आधार पर चुनते हैं। बहुत से लोग सिर्फ इसलिए काम करने का अवसर खो देते हैं क्योंकि वे अंग्रेजी को धाराप्रवाह नहीं बोल पाते भले ही वे काम के बारे में अच्छी जानकारी रखते हों।

हिंदी दिवस ऐसे लोगों को जगाने का प्रयास है और उनमें हिंदी भाषा के लिए सम्मान स्थापित करने का प्रयास है।