प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में श्रद्धालुओं का भारी जनसमूह उमड़ पड़ा है। आज महाकुंभ के दौरान अमृत स्नान का पहला दिन है। संगम के पवित्र जल में सुबह 10 बजे तक 1.38 करोड़ श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाकर अपने पापों का शुद्धिकरण किया और पुण्य लाभ अर्जित किया। मकर संक्रांति के पावन अवसर पर अखाड़ों के साधु-संतों ने परंपरागत रूप से अमृत स्नान किया। सबसे पहले श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा ने स्नान की शुरुआत की। यह स्नान सोमवार को पौष पूर्णिमा के स्नान के बाद हो रहा है, जो महाकुंभ मेले का मुख्य आकर्षण है। अमृत स्नान के दौरान 13 प्रमुख अखाड़ों के साधु त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान करते हैं, जिसके बाद आम श्रद्धालु स्नान का आनंद लेते हैं। नागा साधुओं को सबसे पहले स्नान का अवसर देने की परंपरा चली आ रही है।
नागा साधुओं का स्नान: आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र
धार्मिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश को लेकर देवताओं और असुरों के बीच संघर्ष हुआ, जिसमें अमृत की चार बूंदें पृथ्वी पर चार जगहों—प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार और नाशिक—पर गिरीं। इन्हीं स्थानों पर महाकुंभ का आयोजन होता है। नागा साधुओं को भोलेनाथ का प्रमुख अनुयायी माना जाता है और उन्हें स्नान का पहला अधिकार दिया जाता है। यह स्नान धार्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। सीएम योगी का संदेश
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा: 'यह हमारी सनातन संस्कृति और आस्था का जीवंत स्वरूप है। आज लोक आस्था के महापर्व मकर संक्रांति के पावन अवसर पर महाकुंभ-2025, प्रयागराज में त्रिवेणी संगम में प्रथम अमृत स्नान कर पुण्य अर्जित करने वाले सभी श्रद्धालु जनों का अभिनंदन!'