जोधपुर। जोधपुर उच्च न्यायालय ने मंगलवार को बलात्कार के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद आजीवन कारावास की सजा काट रहे स्वयंभू संत आसाराम बापू को महाराष्ट्र में आयुर्वेद उपचार कराने के लिए सात दिन की पैरोल दे दी।
नाबालिग लड़की से बलात्कार के लिए 2018 में एक ट्रायल कोर्ट द्वारा यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम और अन्य अपराधों के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद आसाराम जोधपुर जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।
न्यायमूर्ति पुष्पेंद्र सिंह भाटी की खंडपीठ ने मंगलवार को आसाराम को अंतरिम पैरोल दे दी, जिन्हें चार दिन पहले जोधपुर के एम्स में भर्ती कराया गया था।
उन्हें पुलिस हिरासत में इलाज के लिए महाराष्ट्र के खोपोली स्थित माधवबाग आयुर्वेदिक अस्पताल ले जाया जाएगा।
आसाराम को पहले पुलिस हिरासत में जोधपुर के एक निजी आयुर्वेदिक अस्पताल में इलाज कराने की अनुमति दी गई थी। हालांकि, उनकी तबीयत फिर से बिगड़ने पर उन्हें जोधपुर एम्स में भर्ती कराया गया था।
इस साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम द्वारा चिकित्सा आधार पर सजा निलंबित करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता को पुलिस हिरासत में माधवबाग अस्पताल में इलाज कराने की मांग करते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष एक नया आवेदन दायर करने की अनुमति दी थी।
याद रहे कि 11 जनवरी को राजस्थान उच्च न्यायालय ने आसाराम द्वारा सजा निलंबित करने या जमानत की मांग वाली चौथी याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि अगर उन्हें अपनी पसंद का चिकित्सा उपचार प्राप्त करने की अनुमति नहीं दी गई तो कानून और व्यवस्था की समस्याएँ पैदा हो सकती हैं।
25 अप्रैल, 2018 को जोधपुर की एक विशेष पोक्सो अदालत ने नाबालिग से बलात्कार के आरोप में आसाराम को दोषी ठहराया था और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। वह 2 सितंबर 2013 से जेल में है। जनवरी 2023 में गुजरात की एक अदालत ने एक महिला शिष्य से जुड़े एक दशक पुराने यौन उत्पीड़न मामले में स्वयंभू बाबा को दोषी ठहराया था और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। पीड़िता ने आसाराम पर 2013 में अपने आश्रम में बार-बार बलात्कार करने का आरोप लगाया था।