जगदगुरु रामभद्राचार्य ने मोहन भागवत के DNA वाले बयान को ठहराया गलत, योगी सरकार पर भी साधा निशाना, कहा - इनका काम केवल सोशल मीडिया तक सीमित

RSS चीफ मोहन भागवत दो दिन से चित्रकूट में हैं। बुधवार को वह पद्म विभूषण जगदगुरु रामभद्राचार्य महाराज से शिष्टाचार भेंट करने के लिए तुलसी पीठ आश्रम गए। यह बैठक करीब डेढ़ घंटे तक चली, बैठक के खत्म होने के बाद रामभद्राचार्य ने बड़ा बयान दिया। जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा, 'RSS प्रमुख मोहन भागवत का DNA वाला बयान अनुकूल नहीं है।'

रामभद्राचार्य सिर्फ इतना ही कहकर नहीं रुके उन्होंने योगी सरकार और पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में हुए जिला पंचायत चुनाव पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, 'यहां के जिला पंचायत से मैं संतुष्ट नहीं हूं। लेकिन, UP में फिर BJP की सरकार ही बनेगी।'

योगी सरकार के काम पर उठाए सवाल

उन्होंने कहा, 'सरकार का कामकाज अच्छा नहीं है। योगी सरकार का काम केवल सोशल मीडिया तक ही सीमित है उसका धरातल पर कोई असर नहीं दिख रहा है।'

इन बिंदुओं पर हुई बातचीत


- चित्रकूट में धार्मिक, आर्थिक विकास के विभिन्न मुद्दों पर जगदगुरु ने संघ प्रमुख से बात की।
- महाकवि गोस्वामी तुलसीदास की जन्मभूमि राजापुर के विकास को लेकर भी दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई।
- जगदगुरु ने कहा कि हिंदी को अब राष्ट्रभाषा घोषित किया जाना चाहिए।
- गौहत्या पर पूरी तरह रोक लगाई जाए।

9 जुलाई से 13 जुलाई के बीच होगी संघ के प्रांत प्रचारकों की बैठक

चित्रकूट में ही अब संघ के प्रांत प्रचारकों की एक बैठक 9 जुलाई से 13 जुलाई तक बुलाई गई है। इसमें शामिल होने के लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत कई वरिष्ठ पदाधिकारी चित्रकूट पहुंच गए हैं। इस बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले, डॉ। कृष्ण गोपाल, डॉ। मनमोहन वैद्य, भैयाजी जोशी सहित राष्ट्रीय स्तर के कई पदाधिकारी शामिल होंगे। बैठक में देशभर के सीनियर प्रचारकों को वर्चुअली जोड़ने का कार्यक्रम भी बनाया गया है। बताया जा रहा है कि बैठक में विधानसभा चुनावों के साथ-साथ कोरोना की स्थिति और अन्य मुद्दों पर चर्चा हो सकती है। बैठक में UP के सभी 6 प्रांतों के प्रांत प्रचारक भी मौजूद रहेंगे। बैठक में कोरोना के बाद RSS कार्यकर्ताओं की सक्रियता को लेकर भी खाका खींचा जाएगा क्योंकि लंबे समय से कार्यकर्ता इस तरह के शिविर और बैठकों से दूर ही रहे हैं।

सभी भारतीयों का DNA एक है


आपको बता दे, पिछले दिनों गाजियाबाद में भागवत ने कहा था, 'यदि कोई हिंदू कहता है कि मुसलमान यहां नहीं रह सकता है, तो वह हिंदू नहीं है। गाय एक पवित्र जानवर है, लेकिन जो इसके नाम पर दूसरों को मार रहे हैं, वो हिंदुत्व के खिलाफ हैं। ऐसे मामलों में कानून को अपना काम करना चाहिए।' उन्होंने यह भी कहा कि सभी भारतीयों का DNA एक है, चाहे वो किसी भी धर्म का हो।

धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाने का क्या फायदा

भागवत के इस बयान के बाद सियासत गरमा गई थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भागवत के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि अगर हिंदुओं और मुसलमानों का डीएनए एक ही है, तो धर्म परिवर्तन के खिलाफ कानून बनाने का क्या फायदा है? 'लव जिहाद' के खिलाफ कानून बनाने की क्या जरूरत थी? तो इसका मतलब है कि मोहन भागवत और ओवैसी का डीएनए भी एक ही है।

भागवत के बयान पर तोगड़िया का पलटवार

विश्व हिंदू परिषद का 32 वर्ष नेतृत्व करने वाले प्रवीण भाई तोगड़िया ने मोहन भागवत के बयान को हिंदू समाज को दिग्भ्रमित करने वाला बताया है। उन्होंने कहा कि हिंदू-मुसलमान के पूर्वज एक हैं, तो क्या महाराणा प्रताप, शिवाजी और गुरु गोविंद सिंह की लड़ाई गलत थी, जिन्होंने अपनी धर्म रक्षा के लिए अपने प्राण त्याग दिए?

मोहन भागवत के 'मॉब लिंचिंग' पर दिए बयान पर उन्होंने कहा कि आज तक भारत के किसी भी राजनीतिक दल ने गौरक्षा करने वालों को आतंकी नहीं कहा, लेकिन मोहन भागवत के बयान से यही इशारा होता है। उन्होंने कहा कि अगर गौरक्षा करने वाले आतंकी हैं तो मोहन भागवत को बताना चाहिए कि क्या आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद के कैंपों में आज तक 'आतंकी' तैयार किये जा रहे थे जो गौरक्षक बनकर गायों को बचाने का काम कर रहे थे।