‘आईसीआई रमजान हेल्प लाइन ऐप’ लॉन्च, बताएगा सहरी, इफ्तार और तरावीह का समय

रमजान के मुकद्दस महीने के दौरान रोजेदारों को सहरी, इफ्तार और तरावीह का वक्त जानने में सहूलियत के लिए एक विशेष मोबाइल ऐप्लीकेशन की शुरुआत की गई। इस्लामिक सेंटर ऑफ इण्डिया द्वारा तैयार कराये गये ‘आईसीआई रमजान हेल्प लाइन ऐप’ का दारुल उलूम फरंग महल में लोकार्पण किया गया।

सेंटर के चेयरमैन और फरंग महल के नाजिम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि इस ऐप में रमजान की अहमियत के साथ साथ इफ्तार और सहरी का समय, शहर की विशेष मस्जिदों में तरावीह की नमाज का वक्त, इफ्तार, सहरी, तरावीह और शबे कद्र से सम्बन्धित दुआयें शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि इसके अलावा रोजा, जकात, तरावीह, इफ्तार, सहरी, नमाज तथा अन्य मामलों से सम्बन्धित सवालों के जवाब के लिए ऐप में अलग सेक्शन बनाया गया है। उम्मीद है कि इससे बड़े पैमाने पर लोगों को फायदा पहुंचेगा।

रमज़ान से जुड़े खास तथ्य

- रमज़ान के महीने के दौरान हर मुसलमान रोज़े रखता है। छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को छोड़कर।
- इस महीने में शाम की इफ्तार का खास भोजन खजूर होता है। इसके पीछे की मान्यता है कि पैगम्बर मोहम्मद ने अपने रोज़े भी खजूर खाकर खोले थे।
- रमज़ान का महीना पूरे 30 दिन का होता है और हर दिन रोज़ा रखा जाता है। मान्यता है कि इस महीने हर रोज़ कुरान पढ़ने से ज़्यादा सबाब मिलता है।
- रमज़ान के महीने को तीन भागों में बांटा जाता है। 10 दिन के पहले भाग को 'रहमतों का दौर' बताया गया है। 10 दिन के दूसरे भाग को 'माफी का दौर' कहा जाता है और 10 दिन के आखिरी हिस्से को 'जहन्नुम से बचाने का दौर' पुकारा जाता है।
- रोज़ा के दौरान मुसलमान खाने-पीने से दूर रहने के साथ-साथ सेक्स, अपशब्द, गुस्सा करने से भी परहेज करते हैं। इस दौरान कुरान पढ़कर और सेवा के जरिए अल्लाह का ध्यान किया जाता है।
- रमज़ान के महीने के एक दिन शब-ए-कद्र मनाई जाती है, जो कि इस बार 11 जून को है। इस दिन सभी मुस्लिम रात भर जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं।
- इस बार रमज़ान में 5 जुमे पडेंगे। रमज़ान का आखिरी जुमा 15 जून को होगा, जिसे अलविदा जुमा कहा जाता है।
- आपने देखा होगा कि रमज़ान की हर तस्वीर में लालटेन ज़रूर होगा। इस लालटेन की कहानी है कि रमज़ान के महीने में मिस्र के बाजारों में लोग बड़ी-बड़ी लालटेन लगाकर सड़कों को सजाते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि मिस्र के खलीफा का स्वागत राजधानी काहिरा में लालटेन लगा कर किया जाता है।
- रोज़े की शुरुआत सुबह सूरज के निकलने से पहले के भोजन से होती है जिसे 'सुहूर' कहा जाता है और सूरज डूबने के बाद के भोजन को 'इफ्तार' कहा जाता है।
- रमज़ान को नेकियों का मौसम और मौसम-ए-बहार (बसंत) भी कहा जाता है।