अनिल अंबानी की एक और मेगा डील, भारत में बनेगा फाल्कन जेट; डसॉल्ट एविएशन से ऐतिहासिक समझौता

देश के एयरोस्पेस सेक्टर को नई उड़ान देने की दिशा में अनिल अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने एक और ऐतिहासिक क़दम उठाया है। राफेल बनाने वाली फ्रेंच कंपनी डसॉल्ट एविएशन के साथ मिलकर अब भारत में फाल्कन 2000 बिजनेस जेट का निर्माण किया जाएगा। यह डील न केवल 'मेक इन इंडिया' अभियान को मजबूती देती है, बल्कि भारत को बिजनेस जेट निर्माण करने वाले चुनिंदा देशों की सूची में भी शामिल कर देती है।

शेयर बाजार की गिरावट के बीच बुधवार को अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के शेयर में जबरदस्त तेजी देखी गई। इस तेजी के पीछे इस डील की घोषणा एक बड़ा कारण बनकर सामने आई। यह समझौता भारत के एयरोस्पेस सेक्टर के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

भारत में बनेगा फाल्कन जेट

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और डसॉल्ट एविएशन के बीच हुए इस करार के तहत नागपुर में अत्याधुनिक असेंबली लाइन तैयार की जाएगी, जहां फाल्कन 2000 बिजनेस जेट्स बनाए जाएंगे। यह पहली बार होगा जब डसॉल्ट फ्रांस के बाहर अपने हाई-एंड बिजनेस जेट का निर्माण करेगी। इस कदम से भारत वैश्विक एयरोस्पेस मानचित्र पर एक नई पहचान बनाएगा। इसके साथ ही भारत अब अमेरिका, फ्रांस, कनाडा और ब्राजील जैसे देशों की कतार में शामिल हो जाएगा जो नेक्स्ट जेनरेशन बिजनेस जेट का निर्माण करते हैं। डसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस फाल्कन 6X और फाल्कन 8X के असेंबली के लिए भी केंद्र बनेगा।

यह वही कंपनी है जो भारतीय वायुसेना के लिए राफेल लड़ाकू विमान बनाती है। इस डील के जरिए पहली बार डसॉल्ट अपने किसी फाल्कन जेट का निर्माण फ्रांस के बाहर भारत में करेगी।

शेयर बाजार में दिखा असर

इस डील की घोषणा के साथ ही रिलायंस इंफ्रा के शेयरों में जबरदस्त तेजी देखी गई। शेयर 5 प्रतिशत की छलांग लगाते हुए 386.50 रुपये पर बंद हुआ। पिछले एक महीने में शेयर 38 प्रतिशत और साल भर में 83 प्रतिशत तक बढ़ चुका है। पांच सालों में इसने 1364 प्रतिशत से अधिक का रिटर्न दिया है, जो निवेशकों के लिए एक बड़ा संकेत है। इसका 52 हफ्तों का उच्चतम स्तर 420 रुपये और न्यूनतम स्तर 169.51 रुपये रहा है।

पेरिस एयर शो में हुआ ऐलान


इस रणनीतिक समझौते की घोषणा पेरिस एयर शो 2025 में की गई, जहां डसॉल्ट एविएशन और रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर लिमिटेड ने साझा बयान में कहा कि यह करार वैश्विक बाजारों के लिए भारत में फाल्कन 2000 निर्माण की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। यह भारत को मेक इन इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड की राह पर आगे बढ़ाता है।

कंपनी की मौजूदगी और योगदान

रिलायंस इंफ्रा देशभर में इंफ्रास्ट्रक्चर, पावर डिस्ट्रीब्यूशन और डिफेंस सेक्टर में काम करती है। दिल्ली में बिजली वितरण के अलावा यह कंपनी मेट्रो, टोल रोड और एयरपोर्ट जैसे प्रोजेक्ट्स में भी सक्रिय है। मुंबई मेट्रो लाइन वन इसी कंपनी की एक बड़ी उपलब्धि रही है। मार्च 2025 तक कंपनी में प्रमोटरों की हिस्सेदारी 16.50 फीसदी रही।

क्या है फाल्कन 2000 जेट?


फाल्कन 2000 एक लग्जरी बिजनेस जेट है, जिसकी रेंज लगभग 6000 किलोमीटर तक है। यह हाई-स्पीड, लॉन्ग-रेंज फ्लाइट्स के लिए जाना जाता है। इसकी कीमत करीब 35 करोड़ रुपये है और इसे आमतौर पर बड़े उद्योगपति, सेलिब्रिटी और कुछ देशों की मिलिट्री द्वारा इस्तेमाल किया जाता है।

भारत को मिलेगा नई तकनीक का लाभ

इस साझेदारी में डसॉल्ट एविएशन रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर को अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी और स्पेशलाइजेशन ट्रांसफर करेगी, जिससे भारत में जेट निर्माण के लिए आवश्यक तकनीकी दक्षता को बल मिलेगा। इससे भारत न केवल घरेलू जरूरतें पूरी कर सकेगा, बल्कि वैश्विक मांगों को भी पूरा कर पाएगा।

डसॉल्ट और रिलायंस का पुराना रिश्ता

डसॉल्ट और रिलायंस का जॉइंट वेंचर 2017 से सक्रिय है। नागपुर के मिहान में स्थापित प्लांट में पहले ही फाल्कन 2000 के लिए 100 से अधिक कंपोनेंट बनाए जा चुके हैं। 2019 में यहां इस जेट के फ्रंट सेक्शन का निर्माण शुरू हुआ था। अब पूरा जेट यहीं बनेगा।

क्या है फाल्कन 2000?

फाल्कन 2000 एक ट्विन-इंजन बिजनेस जेट है जिसमें 8 से 10 यात्री यात्रा कर सकते हैं। इसकी रेंज करीब 6000 किलोमीटर है और यह अमीर उद्योगपतियों, सेलेब्रिटी और कुछ देशों की सेना द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। दुनियाभर में डसॉल्ट अब तक 2700 से ज्यादा फाल्कन जेट्स की डिलीवरी कर चुकी है।

अनिल अंबानी ने क्या कहा?

अनिल अंबानी ने इसे रिलायंस समूह की प्रगति का एक मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि “हम भारत को वैश्विक एयरोस्पेस वैल्यू चेन में एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए कटिबद्ध हैं।” उन्होंने आगे कहा कि “मेड इन इंडिया फाल्कन 2000 देश की तकनीकी दक्षता और मैन्युफैक्चरिंग कुशलता का प्रतीक बनेगा।”

अनिल अंबानी और डसॉल्ट एविएशन के बीच हुई यह मेगा डील भारत के एयरोस्पेस और डिफेंस निर्माण सेक्टर के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ है। इससे देश को न केवल नई तकनीक का लाभ मिलेगा बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता भी विकसित होगी। आने वाले वर्षों में भारत एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग का हब बन सकता है — और यह शुरुआत यहीं से होती है।