गहलोत के 'निकम्मा' बयान पर पायलट का जवाब, कहा - मैं आहत था लेकिन घूंट पीकर रह गया

बगावती तेवर दिखाने वाले सचिन पायलट अब कांग्रेस में वापस आ गए हैं। राजस्थान की गहलोत सरकार का संकट टलने के बाद अब बयानबाजी का दौर चल रहा है। सचिन पायलट ने कहा कि दिल्ली में आकर हमारे साथियों ने मुद्दों को उठाया था, पार्टी ने हमारी बात को सुना है। अब पार्टी की ओर से क्या पद और जिम्मेदारी दी जाएगी, वो पार्टी पर निर्भर है। पार्टी ने सभी मुद्दों का हल निकालने की बात कही है।

सचिन पायलट ने मंगलवार को कहा कि अशोक गहलोत मुझसे बड़े हैं। मैं उनका सम्मान करता हूं, लेकिन मुझे भी काम के मुद्दे उठाने का हक है। पायलट ने यह बात गहलोत के उस बयान के रेफरेंस में कही, जिसमें गहलोत ने पायलट को निकम्मा और नकारा कहा था।

सचिन ने कहा कि बीते वक्त में क्या हुआ और भविष्य में क्या होगा, उसपर अब कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। मेरे लिए कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग किया गया, जिनसे ठेस पहुंची और मैंने कड़वा घूंट पिया है। पायलट ने कहा कि मामला सुलझने की ओर बढ़ गया है, मैंने कहा भी था कि कमेटी तो पहले भी बनी हैं, लेकिन पार्टी ने अब मामला जल्द सुलझाने का वादा किया है।

पायलट ने कहा कि मैंने अपने परिवार से कुछ मूल्य सीखे हैं। मुद्दा यह नहीं कि मैं किसी आदमी का कितना विरोध करता हूं, लेकिन इस तरह की भाषा इस्तेमाल नहीं करता। राजनीति में निजी दुश्मनी की कोई जगह नहीं होती। पायलट ने बताया कि राहुल और प्रियंका ने उनकी आपत्तियां दूर करने के लिए रोडमैप तैयार करने का भरोसा दिया है। पायलट की राहुल और प्रियंका के साथ सोमवार को 2 घंटे मीटिंग हुई थी।

बता दे, इससे पहल पायलट ने सोमवार को कहा, 'लंबे समय से कुछ मुद्दों को मैं उठाना चाहता था। शुरू से ही कह रहा हूं कि ये लड़ाई आदर्शों की थी। मैंने हमेशा यही सोचा था कि पार्टी हित में इन मुद्दों को उठाना जरूरी है। सोनिया जी ने परेशानियों और सरकार की समस्याओं को सुना। लगता है कि जल्द ही मुद्दों को हल किया जाएगा।'

पायलट ने कहा 'जिन लोगों ने मेहनत की है, उनकी सरकार में भागीदारी हो। लड़ाई पद के लिए नहीं, आत्मसम्मान के लिए थी। पार्टी पद देती है, तो ले भी सकती है। जो वादे सत्ता में करके आए थे, उन्हें पूरा करेंगे।'

पायलट ने कहा कि जब पार्टी 21 सीटों पर सिमट गई थी, उसके बाद मैं अध्यक्ष बना और पार्टी को हमने सरकार तक लेकर आए। लेकिन सरकार बनाने में जिनकी भूमिका रही, उन्हें ही सम्मान नहीं मिलेगा तो ठेस पहुंचती है।