राजस्थान / हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी, कहा- बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने का अधिकार

राजस्थान में सियासी घमासान का आज 13वां दिन है। विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वे हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। सीपी जोशी का कहना है कि किसी विधायक को नोटिस देने या उसे अयोग्य घोषित करने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को होता है। जबतक मैं कोई निर्णय नहीं लेता, अदालत मामले में दखल नहीं दे सकता है। सीपी जोशी ने कहा कि अभी सिर्फ विधायकों को नोटिस दिया गया है, कोई फैसला नहीं लिया गया है।

सीपी जोशी ने कही ये बात

स्पीकर सीपी जोशी ने कहा कि किसी विधायक को अयोग्य घोषित करने का अधिकार स्पीकर का है, जबतक निर्णय ना हो जाए उस तबतक कोई इसमें दखल नहीं दे सकता है। हम संसदीय लोकतंत्र की पालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी विधायक को नोटिस देना स्पीकर का काम है, हम सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन्स का पालन कर रहे हैं। अभी तो सिर्फ नोटिस भेजा है, कोई फैसला नहीं लिया गया है।

स्पीकर ने कहा कि अगर हम कोई फैसला करते हैं, तो कोर्ट रिव्यू कर सकता है। हमारी अपील है कि विधानसभा के अध्यक्ष के काम में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। सीपी जोशी ने कहा कि वो हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में SLP देंगे, क्योंकि अदालत स्पीकर के काम में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।

इससे पहले मंगलवार को 19 विधायकों को जारी अयोग्यता नोटिस मामले में हाईकोर्ट ने लगातार दूसरे दिन सुनवाई की थी। बहस पूरी होने के बाद 24 जुलाई तक फैसला सुरक्षित रख लिया। तब तक स्पीकर इन विधायकों के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर सकते हैं।

दरअसल, चीफ व्हिप महेश जोशी की शिकायत पर विधानसभा अध्यक्ष ने 14 जुलाई को सचिन पायलट समेत 19 बागी विधायकों को दल बदल विरोधी कानून के तहत सदस्यता खारिज करने का नोटिस भेजकर 17 जुलाई तक जवाब मांगा था।

14 जुलाई से लेकर अब तक क्या हुआ?

14 जुलाई: स्पीकर ने सचिन पायलट सहित 19 विधायकों को अयोग्यता का नोटिस दिया और 17 जुलाई को दोपहर 1:30 बजे तक जवाब मांगा।

16 जुलाई: नोटिस के खिलाफ पायलट सहित 19 विधायक हाईकोर्ट चले गए। पीछे-पीछे व्हिप चीफ महेश जाेशी ने सरकार की तरफ से कैविएट लगा दी कि कोई भी फैसला किए जाने से पहले उनका पक्ष भी सुना जाए।

17 जुलाई: हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सुनवाई की और मामला खंडपीठ में भेजा। खंडपीठ ने 18 जुलाई को सुनवाई तय की।

18 जुलाई: खंडपीठ ने अगली सुनवाई 20 जुलाई तय की और स्पीकर से कहा कि वे 21 जुलाई तक नोटिस पर कार्यवाही नहीं करें। स्पीकर ने भी इसकी पालना करते हुए कार्यवाही टाली।

20 जुलाई: हाईकोर्ट ने बहस पूरी न हो पाने के कारण कहा- 21 जुलाई को भी सुनवाई होगी।

21 जुलाई: हाईकोर्ट ने फिर मामले को सुना और फैसला 24 जुलाई के लिए सुरक्षित रख लिया। स्पीकर को भी तब तक के लिए कोई निर्णय नहीं करने के लिए कहा।

एक तरफ राजस्थान में कानूनी दांव पेच जारी है, तो दूसरी ओर अब कांग्रेस की ओर से फ्लोर टेस्ट की तैयारी शुरू हो गई है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि आज नहीं तो कल फ्लोर टेस्ट होना ही है, ऐसे में ये जितना जल्दी हो सके उतना अच्छा है। ताकि कुनबा ना टूट पाए। वहीं, पार्टी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को नसीहत भी दे दी है। उन्होंने जिस तरह सचिन पायलट के लिए निकम्मा और नाकारा शब्द का इस्तेमाल किया, उससे हाईकमान खुश नहीं है।