राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री के नाम पर फैसला अभी नहीं हो पाया है। अभी तीनों ही राज्यों में मुख्यमंत्री के नाम का एलान नहीं किया गया है। तीनों राज्यों में विधायक दल की बैठक के बाद फैसला पार्टी आलाकमान पर छोड़ दिया गया है। हालांकि, सूत्रों की मानें तो तीनों राज्यों में सीएम के नाम को लेकर कांग्रेस आलाकमान मन बना चुकी है। सूत्रों के मुताबिक बुधवार को मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री के नाम के लिए कमलनाथ का नाम सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया है। वहीं सीएम के पद के दूसरे दावेदार ज्योतिरादित्य सिंधिया रेस में पिछड़ गए हैं। राहुल गांधी गुरुवार को मध्य प्रदेश के नेताओं के साथ अहम बैठक दिल्ली में करेंगे। इसमें कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत कई नेता शामिल होंगे। इस बैठक में मंत्रिमंडल के नामों को लेकर भी चर्चा होने की संभावना है। इसी बैठक में मुख्यमंत्री का नाम तय होने के बाद शपथ ग्रहण का समय भी तय हो जाएगा। बैठक के बाद कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोपहर में ही भोपाल लौट जाएंगे।
साथ ही सूत्रों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में प्रदेश कांग्रेस प्रभारी भूपेश बघेल कमोबेश सीएम की रेस में आगे हैं। हालांकि, इन्हें इस रेस में टीएमस सिंह देव, ताम्रध्वज साहू टक्कर दे रहे हैं। राजस्थान की बात करें तो वहां सीएम की रेस में गहलोत आगे चल रहे हैं, लेकिन सचिन पायलट उन्हें कड़ी टक्कर देते दिख रहे हैं। राजस्थान में स्थिति थोड़ी कठिन दिख रही है, क्योंकि यहां आलाकमान को तजुर्बे और युवा शक्ति में से एक को चुनना होगा। अशोक गहलोत पहले भी राजस्थान के सीएम रह चुके हैं और उन्हें काफी अनुभव है, वहीं सचिन पायलट राजस्थान में युवाओं के चहेते हैं। इसके अलावा कांग्रेस नेतृत्व के भी वह पसंदीदा चेहरे हैं। कांग्रेस पार्टी की ओर से दिल्ली से भेजे गए पर्यवेक्षक भी राज्यों से लौट आए हैं। गुरुवार को नेता कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलकर नेताओं के नाम बताएंगे। वहीं राहुल गांधी ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को ऑडियो मैसेज भेजकर सीएम के नाम पर राय मांगी है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी आज सीएम का नाम के एलान कर सकती है।
मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव के बाद बुधवार सुबह मतगणना समाप्त होने पर कांग्रेस ने 114 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की है जो कि बहुमत के आंकड़े 116 से मात्र दो सीटें कम है। वहीं प्रदेश में पिछले 15 साल से सत्तारुढ़ दल भाजपा 109 सीटें हासिल कर दूसरे स्थान पर रही। प्रदेश में दो सीटों पर बसपा, एक समाजवादी पार्टी और चार सीटों पर निर्दलीयों ने विजय दर्ज की है। प्रदेश में कुल 230 विधानसभा सीटें हैं। इससे पहले बुधवार दोपहर को कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्विजय सिंह, अरुण यादव और विवेक तन्खा ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से राजभवन में मुलाकात की और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने का दावा पेश किया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर कमलनाथ ने राज्यपाल को सौंपे अपने पत्र में कहा, ‘‘विधानसभा चुनावों में कांग्रेस प्रदेश में सबसे बड़े दल के तौर पर सामने आई है और कांग्रेस को बहुमत हासिल है। बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों ने भी कांग्रेस के प्रति समर्थन व्यक्त किया है।’’ उन्होंने राज्यपाल से आग्रह किया कि कांग्रेस को प्रदेश में सरकार बनाने का अवसर दिया जाए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने राजभवन के बाहर बताया, ‘‘प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में बसपा के दो, सपा का एक और चार निर्दलीय के समर्थन से कांग्रेस के पास समर्थन का कुल आंकड़ा 121 विधायकों का है।’’
वही राजस्थान की बात करे तो 200 सदस्यीय विधानसभा में से 199 सीटों पर हुए चुनावों में कांग्रेस को 99 सीटें मिली हैं। जबकि बीजेपी को 73 और बसपा को 6 सीटें मिली हैं। हालांकि कांग्रेस को राजस्थान में सरकार बनाने के लिए 1 सीट और चाहिए। इस पर बसपा और रालोद ने कांग्रेस को समर्थन की घोषणा की है।