जोधपुर / तीन बहनों ने मिलकर बनाई थी पूरे परिवार के साथ खुदकुशी की प्लानिंग, सुसाइड नोट में लिखी ये बात

पाकिस्तान से विस्थापित हाेकर 6 साल पहले जाेधपुर के देचू स्थित लोड़ता अचलावतां गांव आए परिवार के 12 में से 11 लाेगाें की संदिग्ध मौत से हर कोई हैरान है। जोधपुर के देचू में 11 पाक विस्थापितों की सामूहिक मौत की स्क्रिप्ट परिवार की तीनों बेटियों ने मिलकर लिखी थी। प्रारंभिक जांच में यही सामने आया है कि पुलिस और केवलराम के ससुरालवालों की प्रताड़ना से तंग आकर 25 साल की अविवाहित नर्स बेटी प्रिया ने दो बहनों सुमन (22) और लक्ष्मी (40) के साथ मिलकर पूरे परिवार के साथ खुदकुशी की प्लानिंग की थी। प्रिया ने पहले परिवार के 10 लोगों को जहर का इंजेक्शन दिया और बाद में खुद भी जान दे दी। भाई केवलराम को उसने नींद की गोलियां देकर खेत में रखवाली करने भेज दिया था।

सुसाइड नोट में लिखी ये बात

पुलिस को मिले सुसाइड नोट में जिक्र है कि प्रिया पर केवलराम के मूक-बधिर साले के साथ जबरन शादी करने का दबाव बनाया जा रहा था। दोनों भाइयों केवलराम और रवि का भी अपनी-अपनी पत्नियों से विवाद था। दोनों पर पत्नियों ने घरेलू हिंसा सहित कई केस भी दर्ज करा रखे थे। कई परिवाद देने के बाद भी पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही थी। इसी सबसे परिवार परेशान था। सुसाइड नोट में लिखा कि भाई केवलराम डरपोक है, इसलिए उसे नींद की गोलियां दे दी, हमारी भाभियां और उसके मायके वाले पाक की किसी गलत कंपनी से मिले हैं

सुसाइड नोट में बदा और भाई बागसिंह नाम के दो लोगों का जिक्र है। दोनों से पुलिस पूछताछ कर रही है। इसमें लिखा है- बदा और बागसिंह जी, 30/07/2020 को मंडोर पुलिस ने मुझे कुछ गलत इंजेक्शन दिया था। पाक से हम बचने के लिए भारत आए थे, जगह-जगह जिंदगी बचाने के लिए छुपे। बागसिंह जी हम आपसे नहीं मिले।

पुलिस और वे लोग बहुत खतरनाक हैं। हमें नहीं छोड़ते, बदा हमें क्षमा कर दीजिएगा। हमारी भाभियां और उसके मायके वाले पाक की किसी गलत कंपनी से मिले हुए हैं। ‘बागसिंह जी।।। हमारा भाई केवलराम डरपोक है, जब हमने ये योजना बनाई थी, तब भाई को पता नहीं था। इसलिए उसे नींद की गोलियां दे दी..भाई का साथ देना।

कीटनाश से ब्लॉक हो गई थी नसें

पोस्टमार्टम के दौरान कीटनाशक के कारण शरीर की नसें ब्लॉक मिली। 5 लोगों रवि, दयाल, लक्ष्मी, नैन व सुमन के बाएं जबकि बुद्धाराम, दीया, मुकदश, अंतरादेवी व दानिश के दाहिने हाथ में इंजेक्शन के निशान हैं। प्रिया ने अपने पैर में इंजेक्शन लगाया। चूंकि प्रिया नर्स थी, उसे पता था कि उसके हाथ में नस आसानी से नहीं मिलती है, ऐसे में उसने पहले से अपने पांव में कैनुला लगा रखा था। खुद के इंजेक्शन भी वहीं लगाया।

जिसके पास मदद के लिए गए उसी ने प्रताड़ित किया

पाकिस्तान से अपना धर्म व इज्जत बचाकर जब यह परिवार भारत आया था तो सोचा था कि अब जिंदगी आसान हो जाएगी, लेकिन इतने बरस बाद भी उनकी परेशानियां दूर नहीं हुई। बड़ी बहन लक्ष्मी ने मौत से एक दिन पहले डेढ़ घंटे का वीडियो बनाया, जिसमें जुल्मों की कहानी बताई। तीनों बहनें पढ़ी-लिखी थी और भाई के बच्चों को भी पढ़ाना चाहती थी। लेकिन पारिवारिक कलह में उनका भविष्य भी बन नहीं पा रहा था क्योंकि उन्हें स्कूल भेजने से डरते थे। बच्चों की कस्टडी को लेकर तो विवाद था ही, उनके अपहरण की आशंका भी हर वक्त लगी रहती थी।

मैं लक्ष्मी, जाति भील। पिता बुद्धाराम। रहने वाले भारत के ही लेकिन कर्मों के कारण पाकिस्तान पहुंच गए। वहां से अपनी जिंदगियां बचाने के लिए 2015 में जोधपुर आ गए। आंगणवा की बस्ती में आशियाना बसाया। भाइयों के ससुराल पक्ष और अपने भी इसी बस्ती में रहते थे, तो उम्मीद थी कि अपनों के बीच जिंदगी अब आसानी से जी सकेंगे। मेरी जिंदगी की कहानी संगीन है। इसे मैंने अपनी डायरी में लिखा। अब इतना समय नहीं है कि पूरी डायरी पढ़कर बता सकूं।

शॉर्ट वीडियो में जिंदगी की कहानी बताना चाहती हूं। सीधे-साधे व नेक इंसान की बेटी हूं। पाकिस्तान में सभी लोग गलत नहीं हैं, लेकिन वहां भी कुछ ऐसी कंपनियां हैं, ये खतरनाक कंपनियां अच्छे लोगों के पीछे पड़ जाती हैं। जब छोटी थी, तभी से ये कंपनियां मेरे पीछे लग गई थी। बहुत दु:ख दिए। हम मौत के मुंह से बचकर आ गए। दो साल पहले मेरी एक छोटी बहन ने यातनाओं के कारण 2017 में यहां दम तोड़ दिया।

जैसे-तैसे जोधपुर पहुंचे थे और पहले ही दिन से भाई के ससुराल पक्ष ने हमले और अत्याचार शुरू कर दिए। रिपोर्ट में जिन लोगों के नाम लिखवाए हैं, उन्होंने भगत की कोठी से ही हम बहनों को गायब करवाने की कोशिश की। शादी व रिश्तों के बहाने अपनापन दिखाकर इन लोगाें ने हम बहनों को बेचने की कोशिश की। जब जोधपुर आ गए थे तो पाकिस्तान में भाई को गिरफ्तार करवा दिया था। इनका मकसद हमें बेचना ही था, बर्बाद करना था।

प्रताड़ना की जानकारी हमने हमारे गारंटर सुनील को बताई तो उन्होंने भी चुप रहने की हिदायत दी। मंडोर पुलिस से मदद मांगी तो पुलिस ने भी हमें ही डांटा। कहते, यहां लड़ने आए हो। यहां से भागकर ट्यूबवेल पर रहने लगे। वहां भी उनके लोग पहुंच गए। हद पार परेशान करने लगे। -जैसा भास्कर को बताया।

वर्ष 2018 में केवलराम का अपनी पत्नी धांधली से समझौता हुआ तो वह साथ रहने आ गई। फिर एक दिन दोनों में फिर झगड़ा हुआ तो धांधली ने गुस्से में छपरे में आग लगा दी। जिसमें लक्ष्मी, प्रिया व एक अन्य बहन नजीरों की डिग्री व शैक्षणिक दस्तावेज जल गए। तब धांधली ने यह भी कहा कि अब नौकरी करके दिखाओ।।।। हुआ भी ऐसा ही नर्सिंग कर चुकी लक्ष्मी कहीं नौकरी नहीं कर सकी। रिश्तेदार मलका ने बताया कि कुछ दिन बाद धांधली व चेतन भील ने धमकाया कि अब दस्तावेज जल गए हैं, पुलिस को पकड़ा देंगे। इससे नजीरों सदमे में आ गई और कुछ दिन बाद उसकी मौत हो गई।