राजस्थान / मुख्यमंत्री गहलोत को राहत, इन शर्तों के साथ विधानसभा सत्र बुलाने को राजी हुए राज्यपाल

राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच खबर आई है कि 2 बार गहलोत सरकार की अर्जी लौटाने के बाद सोमवार को राज्यपाल कलराज मिश्र विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए राजी हो गए। कलराज मिश्र ने सोमवार की दोपहर को राज्य कैबिनेट की मांग को स्वीकार करते हुए विधानसभा सत्र का आह्वान किया है। हालांकि, उन्होंने शर्त रखी है। राज्यपाल ने कहा है कि सरकार 21 दिन का नोटिस दे तो सत्र बुलाया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने शर्त रखी है। राज्यपाल ने कहा है कि सरकार 21 दिन का नोटिस दे तो सत्र बुलाया जा सकता है।

बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में बताया था कि उन्होंने राज्यपाल के 'व्यवहार' को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है।

राज्यपाल ने इस बात से भी इनकार किया है कि वह जानबूझकर विधानसभा सत्र बुलाने में देरी कर रहे थे। बता दें कि कांग्रेस और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्यपाल कलराज मिश्र पर आरोप लगाते आए हैं कि वह केंद्र सरकार के इशारे पर सदन का सत्र बुलाने और विश्वास मत में देरी कर रहे हैं। कांग्रेस ने कहा था कि राज्यपाल ने ऐसा करके लोकतंत्र को बाधित करने का सबसे खराब तरीका अपनाया है।

न्यूज एजेंसी एएनआई के सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल ने कहा कि कोरोना के बीच विधायकों को सदन में बुलाना मुश्किल होगा। राज्यपाल ने सरकार से पूछा है कि क्या आप विश्वास मत प्रस्ताव चाहते हैं? इस बात का जिक्र आपके पत्र में नहीं है, लेकिन मीडिया में आप ऐसा ही बोल रहे हैं। साथ ही पूछा कि क्या आप सत्र बुलाने के लिए 21 दिन का नोटिस देने पर विचार कर सकते हैं?

दूसरी ओर, विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने हाईकोर्ट के 21 जुलाई के आदेश को चुनौती देने वाली सुप्रीम कोर्ट में दायर पिटीशन वापस ले ली है। हाईकोर्ट ने इस आदेश में उन्हें पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और 18 कांग्रेस विधायकों के खिलाफ अयोग्य ठहराने की कार्यवाही को स्थगित करने का निर्देश दिया गया था। सुनवाई शुरू होते ही जोशी के वकील सिब्बल ने याचिका वापस लेने की इच्छा जताई। वहीं, जोशी ने बसपा के छह विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के खिलाफ भाजपा विधायक मदन दिलावर की याचिका खारिज कर दी। दिलावर ने कहा कि वह आदेश के अध्ययन के बाद ही कोई टिप्पणी करेंगे। हालांकि दिलावर अध्यक्ष के फैसले की प्रति लेने के लिए कुछ देर के लिए विधानसभा सचिव के कमरे में धरने पर बैठ गए थे। सचिवालय से आदेश का सार मिलने के बाद वह बाहर आए।