फिर दिल्ली पहुँचा राजस्थान कांग्रेस अंदरूनी कलह का मामला, पोस्टर्स में सचिन को मिली कम जगह

जयपुर। राजस्थान में आगामी 25 नवम्बर को नई विधानसभा के सदस्यों को चुनने के लिए मतदान होने जा रहा है। कांग्रेस और भाजपा की बराबरी पर टिका यह मुकाबला बड़ा रोचक नजर आ रहा है। भाजपा इस बार कांग्रेस के मुकाबले थोड़ा कमजोर नजर आ रही है। कांग्रेसियों को चाहिए कि वे सभी मतभेदों और नाराजगी को छोड़कर एकसाथ मिलकर वोटरों को अपने पक्ष में करेंगे। लेकिन दो बडे़ नेताओं अशोक गहलोत और सचिन पायलट के समर्थक अभी भी एक-दूसरे की शिकायतें लेकर हाईकमान के पास दिल्ली पहुँच रहे हैं।

राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी कलह का मामला एक फिर दिल्ली पहुंचा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जारी तनाव पार्टी के प्रचार सामग्री में भी दिखा है। पार्टी के ज्यादातर पोस्टर्स में सीएम अशोक गहलोत ही हैं। सचिन पायलट खेमे ने दिल्ली में पार्टी आलाकमान से शिकायत करते हुए कहा है कि राजस्थान के पार्टी पोस्टर्स में सचिन पायलट को बेहद कम जगह दी गई है, जबकि अधिकतर पोस्टर्स सीएम अशोक गहलोत के लगाए गए हैं।

सचिन खेमे ने कहा है कि सचिन पायलट को कांग्रेस का स्टार प्रचारक माना जाता है और उनकी अन्य राज्यों में भी डिमांड की जाती रही है। पायलट की मांग सभा के लिए 5 चुनावी राज्यों में हो रही है। इससे पहले सचिन पायलट, हिमाचल और दिल्ली चुनावों में भी डिमांड में थे, लेकिन खुद उनके राज्य राजस्थान में उनकी स्टार प्रचारक की भूमिका सिर्फ कागजों तक सीमित है। यहां तक कि पार्टी के प्रचार सामग्री में अशोक गहलोत ही हैं। इस बात की शिकायत पायलट के खेमे के जरिए दिल्ली दरबार तक पहुंच गई जिसके बाद कुछ जगहों पर सचिन भी दिखने शुरू हुए हैं।



तवज्जो न देने पर मुखर नजर आ रहा सचिन खेमा

2004 में 26 साल की उम्र में सचिन सांसद बने, फिर 2009 अजमेर से सांसद और 32 साल की उम्र में केंद्र सरकार में मंत्री बन गए थे। फिर 2013 में गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान में पार्टी बुरी तरह हारी तो 36 साल की उम्र में सचिन को राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी मिली। 5 साल की मेहनत के बाद भी 2018 में सीएम की कुर्सी अशोक गहलोत को मिली तो अध्यक्ष के साथ डिप्टी सीएम सचिन पायलट बने। लेकिन बाद में तवज्जो न मिलने से नाराज पायलट ने गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी। तब से गहलोत और सचिन में लगातार सियासी युद्ध चल रहा है। एक बार फिर सचिन खुद को तवज्जो न देने पर मुखर नजर आ रहे हैं। अब देखना ये है की गहलोत खेमा उनको प्रचार सामग्रियों पर कितनी तवज्जो देती है और सचिन कब तक चुप रहते हैं।