क्या बाल ठाकरे के 'हिंदुत्व' की विरासत को कब्जाने में जुटे राज ठाकरे?, भगवा हुआ झंडा, बदला नारा

2019 के विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र का सियासी मिजाज अब पूरी तरह से बदल चुका है। पुरानी दोस्त बीजेपी के साथ अपना नाता तोड़ने के बाद शिवसेना ने कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार का घठन कर लिया। ऐसे में शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की राजनीतिक विरासत के असल वारिस बनने की जंग तेज हो गई है। 2019 के विधानसभा चुनाव में लगभग साफ हो चुकी एमएनएस ने शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की जयंती के मौके पर महाधिवेशन शुरू किया है। राज ठाकरे बाल ठाकरे की जयंती के दिन से अपनी विचारधारा को 'मराठी मानुष' से 'हिंदुत्व' की ओर ले जाने की तैयारी में है। हिंदुत्व अवतार के लिए एमएनएस का नारा और पार्टी का झंडा बदलेंगे।

शिवसेना से नाता तोड़ने के बाद राज ठाकरे पहली बार बाला साहेब ठाकरे के जयंती पर पूरे दिन का कार्यक्रम कर रहे हैं। पूरे दिन चलने वाले इस महाधिवेशन में ठाकरे अपनी पत्नी शर्मिला और बेटे अमित ठाकरे के साथ पहुंचे। इस दौरान उद्धव के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे को टक्कर देने के लिए राज ने अपने बेटे अमित को भी अधिवेशन में लॉन्च किया। राज ठाकरे ने इस दौरान न सिर्फ पार्टी का नया भगवा झंडा लॉन्च किया, बल्कि उनके तेवरों से ऐसा लग रहा था कि वह सावरकर और हिंदुत्व जैसे मुद्दों को लेकर बैकफुट पर गई शिवसेना को कड़ी टक्कर देने की तैयारी कर रहे हैं।

भगवा ध्वज पर शिवाजी की मुहर है और उस पर संस्कृत में श्लोक लिखा गया है- 'प्रतिपच्चन्द्रलेखेव वर्धिष्णुर्विश्ववन्दिता, शाहसूनो: शिवस्यैषा मुद्रा भद्राय राजते।' इसका अर्थ होता है- 'शाहजी के पुत्र शिवाजी की इस मुद्रा की महिमा उसी तरह से बढ़ेगी, जैसे पहले दिन (शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के बाद) से चांद बढ़ता है। यह दुनिया द्वारा पूजी जाएगी और यह केवल लोगों की भलाई के लिए चमकेगी।' गौरतलब है कि इससे पहले एमएनएस का झंडा नीला, सफेद, केसरिया और हरे रंग का होता था। आपको बता दें कि 6 जून 1674 का राजगढ़ में राज्याभिषेक के बाद शिवाजी ने खुद यह राजमुद्रा तैयार की थी। इस राजमुद्रा पर संस्कृत में लिखा था, 'प्रतिपच्चंद्रलेखेव वर्धिष्णुर्विश्ववंदिता शाहसुनोः शिवस्यैषा मुद्रा भद्राय राजते'।

जानकारों का कहना है कि एमएनएस की कोशिश है कि शिवसेना से जुड़े कोर कार्यकर्ताओं को इन मुद्दों के सहारे अपने साथ लाया जाए। सावरकर के अलावा एमएनएस के मंच पर शिवाजी की मूर्ति, भीमराव आंबेडकर की तस्वीर के अलावा सावित्री बाई फुले की तस्वीर भी लगाई गई थी। बात दें कि शिवाजी से पहले, मराठों की मुहरें फारसी में हुआ करती थी। शिवाजी ने सांस्कृतिक प्रवृत्ति शुरू की, जिसका अनुपालन उनके वंशजों और अधिकारियों ने किया। अब इसी राह पर राज ठाकरे चलते हुए नजर आ रहे हैं।

एमएनएस की ओर से महाअधिवेशन के लिए लगाए पोस्टर पूरी तरह से भगवा रंग में है, जिस पर नारा दिया गया 'महाराष्ट्र धर्म के बारे में सोचो, हिंदू स्वराज्य का निर्धारण करो।' पार्टी नेता संदीप देशपांडे ने कहा कि भगवा पर किसी का कॉपीराइट नहीं है और पूरा महाराष्ट्र भगवा है। हम भगवा हैं। इस फैसले से महाराष्ट्र में नई ऊर्जा आएगी और महाराष्ट्र की राजनीति में नए मोड़ और विकल्प खुलेंगे।

एमएनएस के प्रमुख राज ठाकरे ने पिछले दिनों महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व बीजेपी देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की थी। इसके बाद ये कयास लगाए जा रहे हैं कि एमएनएस और बीजेपी हाथ मिला सकते हैं। राज ठाकरे शिवसेना के कांग्रेस के साथ जाने के बाद खाली हुई जगह को भरने की कोशिश कर रही है। बीजेपी के साथ एमएनएस गठबंधन के सवाल पर देशपांडे ने कहा कि यह अच्छा है कि वे स्वागत कर रहे हैं। राज ठाकरे आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन अभी बीजेपी के साथ जाने की कोई चर्चा नहीं है।