सिरो सर्वे / पुणे के लिए राहत की खबर, शहर के 51% लोगों में एंटीबॉडी विकसित

महाराष्ट्र के पुणे में एक सिरो सर्वे में पता चला है कि शहर में 51 प्रतिशत लोगों में कोरोना के खिलाफ लड़ने की शक्ति पैदा हो गई है यानी उनके शरीर में एंटीबॉडी विकसित हो गई है। दरअसल, पांच संस्थाओं ने मिलकर पिछले दिनों सर्वे किया। इसमें 1664 लोगों के खून के नमूने लिए गए। नतीजे में पाया गया कि पुणे के 51% लोगों में कोरोना के खिलाफ लड़ने के लिए एंटीबॉडी विकसित हो गई है। सर्वे करने वाली 5 संस्थाओं में सावित्रीबाई फुले पुणे विद्यापीठ, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंसेस एंड टेक्नालॉजी शामिल हैं। इन संस्थाओं ने पुणे नगर निगम की इजाजत मिलने के बाद सर्वे किया। बता दे, सिरो सर्वे में इंसान के ब्लड लेकर एंटीबॉडी की जांच की जाती है। अगर किसी व्यक्ति को कोरोना संक्रमण हुआ होगा तो उसके शरीर में एंटीबाडी मिलती है। इससे ये भी पता चलता है कि जिनमें एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है उन्हें कभी न कभी कोरोना हो चुका है। पुणे में हुए सिरो सर्वे में पता चला है कि झुग्गियों में 62% लोगो में एंटीबॉडी मिली। फ्लैट्स में रहने वालों में इसका प्रतिशत 52.6% है। बंगला में रहने वालों में यह 43.9% है जबकि अपार्टमेंट रहने वालों में 33.2% एंटीबॉडी मिली।

इस सर्वे की पुष्टि पुणे के विभागीय आयुक्त सौरव राव की है। उन्होने इस सर्वे की रिपोर्ट भी 'आजतक' के साथ साझा की। गौर करने वाली बात ये है कि सर्वे उन इलाकों में किया गया जहां कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या अधिक है। पुणे के याने कस्बा पेठ, सोमवार पेठ, सस्ता पेठ, रविवार पेठ, लोहिया नगर, कासेवाडी और नवी पेठ में सर्वे किया गया। पुणे में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित इन 5 इलाकों में देखने को मिला। इन इलाकों में रहने वाले लोगों के शरीर में एंटीबॉडी की जांच की गई। इसके लिए लोगों के ब्लड सैंपल लिए गए थे। सर्वे के नतीजे बताते हैं कि इन इलाकों के 51% लोगों में कोरोना के खिलाफ लड़ने के लिए एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है। इसका मतलब है कि उन्हें पूर्व में ही कोरोना हुआ था जिन्हें उन्होंने हरा दिया। इससे पहले मुंबई और दिल्ली में सिरो सर्वे किया गया था। मुंबई का प्रतिशत 40 तो दिल्ली का प्रतिशत 27 था। इसकी तुलना में पुणे का प्रदर्शन बेहतर है। नागपुर AIIMS सीनियर साइंटिस्ट डॉ मीना मिश्रा ने बताया कि एंटीबॉडी विकसित होना अच्छी बात है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं के लोगो को घूमने फिरने की अनुमति मिल गई है। कोरोना वायरस म्यूटेट होता जा रहा है। इसलिए ऐसा भी देखने को मिला है कि कोरोना वायरस से इलाज होने के बाद दोबारा संक्रमण हो जा रहा है।